रूसी सैनिकों ने क्षेत्र में कीव के आक्रमण को पीछे धकेल दिया है। विशेषज्ञों ने यूक्रेन का सामना करने वाले सैनिकों की कमी को देखते हुए ज़ेलेंस्की की आक्रामकता को 'रणनीतिक तबाही' कहा है।
नई दिल्ली : रूस से यूक्रेन के राष्ट्रपति लगातार आक्रामक तरीके से पेश आ रहे है। कुर्स्क क्षेत्र में हमला और लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल शामिल है। युद्ध के मोर्चे पर रुसी सेना सबसे आगे है। ऐसे ही चलता रहा तो रूस इस संघर्ष में निर्णायक बनकर उभरे गए और युक्रेन को अब तक का भारी खामियाज़ा भरना पड़ सकता है।
रूस पूर्वी डोनबास क्षेत्र में प्रमुख यूक्रेनी रसद केंद्र की ओर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। कुर्स्क क्षेत्र पर रूस के कब्जे से यूक्रेन को जो लाभ हुआ था, वह भी तेज़ी से कम हो रहा है। रूसी सैनिकों ने क्षेत्र में कीव के आक्रमण को पीछे धकेल दिया है। विशेषज्ञों ने यूक्रेन का सामना करने वाले सैनिकों की कमी को देखते हुए ज़ेलेंस्की की आक्रामकता को ‘रणनीतिक तबाही’ कहा है।
इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर के रिपोर्ट में बताया कि यूक्रेनी सेना ने रूस के कुर्स्क में अपने आक्रमण के पहले महीने में 1,171 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर भी कब्ज़ा कर लिया था, लेकिन रूसी सेना ने अब उसमें से लगभग आधे क्षेत्र पर फिर से कब्ज़ा कर लिया है। यह तो साफ हो गई कि यूक्रेन के लिए एक बड़ा झटके से कम नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना कि कुर्स्क में घुसपैठ यूक्रेन के लिए ‘रणनीतिक तबाही’ साबित हुई है। आगे उन्होंने कहा कि इसके पीछे शायद यह इरादा था कि बातचीत में कुछ राजनीतिक लाभ हासिल किया जा सके, लेकिन सैन्य रूप से इरादा कुर्स्क को मुक्त करने के लिए रूसी सेना को डोनबास से दूर करना था। इसके विपरीत, हम जो देख रहे हैं वह यह है कि यूक्रेनी सेना वहीं फंसी हुई है।
यह भी पढ़ें :-
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में किस तेज गेंदबाज पर भारत को भरोसा, सर्वे में लोगों ने बता दिया