नई दिल्ली। अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन की आड़ में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाने और खुद सत्ता में स्थापित होने के बाद अब मोहम्मद यूनुस अपने असली मकसद पर लौट आए हैं। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अब देश में शरिया लागू करने की ओर बढ़ रही है। हसीना को सत्ता से बेदखल करने में मदद करने वाले इस्लामी कट्टरपंथी अब मांग कर रहे हैं कि बांग्लादेश में शरिया कानून को लागू किया जाए।
बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों की सक्रियता पहले से ज्यादा बढ़ गई है। इन कट्टरपंथियों पर शेख हसीना की सरकार ने कड़े प्रतिबंध लगाए हुए थे। लेकिन मोहम्मद यूनुस के राज में इन धार्मिक कट्टरपंथियों का बांग्लादेश की सियासत में बोलबाला देखने को मिल रहा है। इस बीच कट्टरपंथियों ने घोषणा की है कि महिलाएं अब फुटबॉल नहीं खेलेंगी।
वहीं, बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक रैली के दौरान कट्टरपंथियों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस्लाम का अपमान करने वाले व्यक्ति को मौत की सजा नहीं दी तो फिर वो अपने हाथों से उसे सजा-ए-मौत देंगे।
बता दें कि बांग्लादेश के कई राजनीतिक दल नए संविधान का मसौदा तैयार कर रहे हैं। इन दलों के नेताओं का कहना है कि इस दस्तावेज में बांग्लादेश की परिभाषित विशेषता से धर्मनिरपेक्षता शब्द को हटा दिया जाएगा। उनका कहना है कि संविधान में धर्मनिरपेक्षता के स्थान पर बहुलवाद को स्थापित किया जाएगा।