नई दिल्ली: वेटिकन सिटी के शहर अल्बानिया की राजधानी तिराना में एक नया और दुनिया का सबसे छोटा मुस्लिम देश बनने की तैयारी हो रही है, जिसे बेक्ताशी परंपरा के अनुसार चलाया जाएगा। इस देश की स्थापना के पीछे का मुख्य उद्देश्य इस्लाम के उदारवादी स्वरूप को दुनिया के सामने लाना है। अल्बानिया के प्रधानमंत्री […]
नई दिल्ली: वेटिकन सिटी के शहर अल्बानिया की राजधानी तिराना में एक नया और दुनिया का सबसे छोटा मुस्लिम देश बनने की तैयारी हो रही है, जिसे बेक्ताशी परंपरा के अनुसार चलाया जाएगा। इस देश की स्थापना के पीछे का मुख्य उद्देश्य इस्लाम के उदारवादी स्वरूप को दुनिया के सामने लाना है। अल्बानिया के प्रधानमंत्री ईदी रामा ने इस अनोखे मुस्लिम देश की घोषणा की है, जो करीब 27 एकड़ के क्षेत्र में फैला होगा। वहीं ये न्यूयॉर्क शहर के 5 ब्लॉक के बराबर होगा।
यह नया मुस्लिम देश, जिसका आकार वेटिकन सिटी के लगभग चौथाई के बराबर होगा। बता दें, ये अपने नियमों और प्रशासन के साथ स्वतंत्र रूप से कार्य करेगा। यहां की खास बात यह है कि नागरिकों को अपनी जीवनशैली के प्रति पूरी आजादी होगी। महिलाओं को उनकी पसंद के कपड़े पहनने की अनुमति होगी और शराब का सेवन भी मान्य होगा। इस देश का अपना प्रशासनिक ढांचा होगा, अपनी सीमाएं होंगी और नागरिकों को पासपोर्ट भी जारी किए जाएंगे।
इस देश की नींव रखने वाले मौलवी एडमंड ब्रहीमाज, जिन्हें बाबा मोंडी के नाम से जाना जाता है, बेक्ताशी ऑर्डर का नेतृत्व करते हैं। बाबा मोंडी का कहना है कि इस्लाम में किसी चीज पर रोक नहीं लगाई गई है और इसलिए इंसानों को खुद यह निर्णय करने का अधिकार है कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत। बाबा मोंडी का मानना है कि यह देश इस्लाम के सहिष्णु और उदार चेहरे को दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा, जहां धार्मिक आजादी और स्वतंत्रता सर्वोपरि होंगी।
बेक्ताशी परंपरा की जड़ें 13वीं सदी के ऑटोमन साम्राज्य में हैं और यह परंपरा शिया सूफी समुदाय से जुड़ी है। हालांकि तुर्की गणराज्य के निर्माण के बाद इसे वहां प्रतिबंधित कर दिया गया, जिसके बाद बेक्ताशी समुदाय का मुख्यालय अल्बानिया के तिराना में स्थापित हुआ। बाबा मोंडी ने अपने अनुयायियों के बीच व्यापक सम्मान प्राप्त किया है और उन्हें दुनियाभर के लाखों मुसलमान ‘हाजी डेडे बाबा’ के नाम से भी जानते हैं।
अल्बानिया के प्रधानमंत्री ईदी रामा ने कहा कि यह नया देश इस्लाम के सहिष्णु और उदारवादी पहलुओं को बढ़ावा देगा। आगे उन्होंने कहा कि यह हमारी धार्मिक सहिष्णुता और स्वतंत्रता को संरक्षित करने का एक प्रयास है, जो हमारे लिए गर्व का विषय है।
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