नई दिल्ली. World Politics: हम सब नववर्ष 2022 में प्रवेश कर चुके है बीती रात न्यूजीलैंड के आकलैंड से शुरू हुआ नए साल के जश्न का सिलसिला आस्ट्रेलिया, जापान से होते हुए दुनिया के हर कोने में पहुंच गया इस अवसर पर विश्व के सभी बड़े नेताओं ने अपनी बधाई और शुभकामनाएं लोगों को दी है नए साल के इसी खास दिन पर आज हम आपको बताएंगे 2022 में होने वाले ऐसे राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में जो वैश्विक राजनीति को को नया आकार देंगी।
इस साल के अप्रैल महीने में फ्रांस के राष्ट्रपति का चुनाव होगा और वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपने दूसरे कार्यकाल के लिए फ्रांस की जनता के बीच जाना होगा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति का स्थाई सदस्य, विश्व का एक प्रमुख हथियार निर्यातक देश और एक परमाणु संपन्न राष्ट्र होने की वजह से फ्रांस के राष्ट्रपति का पद बहुत शक्तिशाली हो जाता है यही वजह है इस राष्ट्रपति चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर रहने वाली है.
इस साल के मार्च महीने की शुरूआत में हांगकांग में मुख्य कार्यकारी अधिकारी का चुनाव होना है. लोकतंत्र समर्थकों और चीनी सरकार के बीच चल रही तनातनी के बीच होने वाले इस चुनाव पर दुनियभर के लोकतांत्रिक देशों की नजर रहने वाली है. अपनी सम्पन्नता, विलासिता और चकाचौंध से पूरी दुनिया के पर्यटको और व्यापारियों का ध्यान आकर्षित करने वाला हांगकांग आधिकारिक तौर पर चीनी गणराज्य का हिस्सा तो जरूर है लेकिन ब्रिटिश सरकार के साथ हुए एक समझौते की वजह से यहां पर चीन की तरह कम्युनिस्ट शासन ना होकर लोकतांत्रिक रूप से एक सरकार काम करती है.
बता से कि 1897 में ब्रिटिश साम्राज्य के साथ अफीम युद्ध हार जाने के बाद चीन ने हांगकांग को 100 वर्षों के लिए ब्रिटिश साम्राज्य को लीज पर दे दिया था द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान के 4 साल के जापानी कब्जे को छोड़ दे तो हांगकांग पर लगभग सौ सालों तक ग्रेट ब्रिटेन का राज था 1997 में लीज का सीमा पूरी होने पर ब्रिटेन ने एक समझौते के तहत चीन को हांगकांग की सत्ता हस्तांरित कर दिया था.
समझौते के अनुसार 50 वर्षों तक हांगकांग को अपने राजनीतिक फैसले लेने का अधिकार होगा लेकिन पिछले दो तीन सालों के घटनाक्रम को देखने के बाद ऐसा लगता है कि चीनी सरकार की मंशा 2047 तक इंतजार करने की नहीं है वह वहां पर अपने देश की तरह कम्युनिस्ट तानाशाही स्थापित करना चाहता है. अपने इसी मकसद की पूर्ति के उसने 2020 में एक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का भी निर्माण किया है जिसका प्रयोग वो लोकतंत्र समर्थकों पर कसने के लिए करता है.
एक वक्त में अपनी आधुनिक तकनीकी और नेवी पॉवर के बल पर लगभग पूरी दुनिया में राज करने वाले ब्रिटिश राजशाही की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय 2022 में अपने शासन का 70 वर्ष पूरा करने वाली हैं. इस खास अवसर पर ब्रिटेन में कई खास समारोह का आयोजन किया जा सकता है जिसमें दुनिया भर के कई नेताओं की मौजूदगी भी राह सकती है. गौरतलब है कि वर्तमान में महारानी किसी भी शासक द्वारा सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाली राष्ट्रप्रमुख है उन्होंने 1952 में अपने किंग जार्ज पंचम की बीमारी की वजह से हुई मृत्यु के बाद शासन की बागडोर को संभाला था, आज की इक्कीसवीं सदी में भी एलिजाबेथ द्वितीय आस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड समेत 15 देशों की राष्ट्रध्यक्ष हैं. यही वजह है उनके शासन की 70 वर्ष पूरे होने पर पूरी दुनिया की निगाहे महारानी के निवास बकिंघम पैलेस पर होंगी।
वैसे तो भारत के राष्ट्रपति की पास बेहद सीमित शक्तियां होती है और उनका चुनाव भी अप्रत्यक्ष रूप से होता है लेकिन विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सेना का सर्वोच्च कमांडर होने के नाते विश्व राजनीति में भारतीय राष्ट्रपति की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 2022 में खत्म हो जाएगा और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का अगला राष्ट्राध्यक्ष कौन होगा इस पर वैश्विक मीडिया ने निगाहें गड़ाई होगी.
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