World Bipolar Day 2023: अपना ही कान काटकर प्रेमिका को भेंट करने वाले चित्रकार को है ये दिन समर्पित

नई दिल्ली: हर साल 30 मार्च के दिन वर्ल्ड बायपोलर डे मनाया जाता है। IBPF यानी अंतरराष्ट्रीय बायपोलर फाउंडेशन के अनुसार बायपोलर दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य ये है कि दुनिया भर में इस बीमारी से जूझ रहे लोगो के प्रति जागरुकता बढ़ाई जाये। आपको जानकार हैरानी होगी कि विश्व के मशहूर पेंटर वैन गो […]

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World Bipolar Day 2023: अपना ही कान काटकर प्रेमिका को भेंट करने वाले चित्रकार को है ये दिन समर्पित

Apoorva Mohini

  • March 29, 2023 3:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: हर साल 30 मार्च के दिन वर्ल्ड बायपोलर डे मनाया जाता है। IBPF यानी अंतरराष्ट्रीय बायपोलर फाउंडेशन के अनुसार बायपोलर दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य ये है कि दुनिया भर में इस बीमारी से जूझ रहे लोगो के प्रति जागरुकता बढ़ाई जाये। आपको जानकार हैरानी होगी कि विश्व के मशहूर पेंटर वैन गो भी इस बीमारी से ग्रसित थे।

विन्सेंट वैन गो को क्यों है यह दिन समर्पित ?

बता दें कि विश्व के प्रख्यात डच कलाकार विंसेंट वॉन गो जो कि प्रभाववादी चित्रकार थे उनके जन्मदिन के अवसर पर इस दिवस को मनाया जाता है, क्योंकि वैन गो स्वयं भी इस बीमारी से ग्रसित थे। वैन गो खुद का कान काट लेने की वजह से भी काफी प्रचलित हैं,सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत खाता यह है कि वैन गॉग ने साथी कलाकार पॉल गाउगिन के साथ लड़ाई में पागल होने के बाद अपने कान के लोब को काट दिया और फिर राहेल नामक एक वेश्या को स्नेह चिन्ह के रूप में दे दिया। व्यावसायिक रूप से असफल, वह एकध्रुवीय अवसाद और दारिद्र्य से संघर्ष करते रहे, अंततः सैंतीस वर्ष की आयु में उन्होंने आत्महत्या कर ली थी, जानकारों का मनाना है वैन गो ने ये कदम बाइपोलर डिसऑर्डर के चलते उठाया था।

जानिए बायपोलेरिटी के लक्षण

बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्‍यक्ति की भावनाएं स्थिर नहीं रह पाती है। जिसके चलते कई बार व्यक्ति अपनी भावनाओं से संतुलन खो बैठता है। इस स्थिति में कई बार व्‍यक्ति अपने व्‍यवहार पर भी नियंत्रण नहीं रख पाता है। आम तौर पर इसके बायपोलर मेनिया और डिप्रेसिव फेस नाम के दो चरण होते हैं। पहले चरण यानी बाइपोलर मेनिया में व्यक्ति काफी कम सोता है जिसके चलते वह चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो सकता है।
वहीं दूसरे चरण में व्यक्ति अवसाद की स्तिथि में पहुंच सकता है। इस अवस्था में व्यक्ति अत्यंत दुःख की अनुभूति करने लगता है साथ ही रोज़मर्रा के काम में भी उसका कोई मन नहीं लगता यहां तक कि व्यक्ति अपने बिस्तर से भी बाहर निकलने के लिए कतराता है।

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