15वीं-16वीं शताब्दी यूरोप में डायन बिसाही की ख़बरें ज्यादा आती थी। उस समय महिलाएं डरी हुई रहती थी कि कही उनपर भी डायन होने का आरोप लग जाए। अगर किसी महिला पर डायन होने का आरोप लगता था तो उसकी जांच की जाती थी। इसमें उन्हें खूब प्रताड़ित किया जाता था।
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सियासी सरगर्मी इन दिनों तेज है। इसी बीच लोहरदगा के गाँव में डायन-बिसाही का आरोप लगाकर एक अधेड़ व्यक्ति की हत्या कर दी गई। झारखंड में डायन बिसाही की ख़बरें बहुत आती है। आज हम जानेंगे इससे संबंधित ही यूरोप में हुई एक घटना के बारे में जहां कई महिलाओं को जिंदा जला दिया गया।
15वीं-16वीं शताब्दी यूरोप में डायन बिसाही की ख़बरें ज्यादा आती थी। उस समय महिलाएं डरी हुई रहती थी कि कही उनपर भी डायन होने का आरोप न लग जाए। अगर किसी महिला पर डायन होने का आरोप लगता था तो उसकी जांच की जाती थी। इसमें उन्हें खूब प्रताड़ित किया जाता था। मारपीट करने से लेकर कई दिनों तक भूखा रखा जाता था। लोहे के गर्म सरिए से उन्हें दागते थे। अगर पादरी को लग जाता था कि महिला डायन है तो उसे मौत की सजा दी जाती थी। मौत में भी उन्हें आसानी से नहीं मरने देते थे बल्कि तड़पा कर जिंदा जलाते थे।
यूरोप में डायन ठहराई गई महिलाओं पर शैतान यानी प्रेत के साथ यौन संबंध बनाने के आरोप तक लगे हुए हैं। टोरिबर्न स्कॉटलैंड के तटीय इलाका में समुद्र के करीब एक कब्र है लिलिस ऐडी नाम की एक महिला का। इस महिला पर आरोप लगा कि वो प्रेत से शारीरिक संबंध बनाती थी। उसे जलाकर मार दिया गया। कहा जाता था कि डायन प्रेत से समझौता कर लेती थी कि उसको अपने साथ शारीरिक संबंध बनाने देगी, इसके बदले में उन्हें उसके वश में रहना पड़ेगा। 1560 से लेकर 1660 ईस्वी के बीच यूरोप में 50 हजार से अधिक महिलाओं को मार दिया गया क्योंकि उन्हें उनपर डायन होने का शक है। एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक भारत में 2011 से लेकर 2022 तक 1500 लोगों को डायन होने के शक में हत्या कर दी गई।
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