नई दिल्ली। पड़ोसी देश बांग्लादेश में इन दिनों बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला। जहां छात्रों के प्रदर्शन के आगे प्रधानमंत्री शेख हसीना को सरेंडर करना पड़ा और वो देश छोड़कर भारत चली आईं। शेख हसीना लंबे समय तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं लेकिन उन्हें आनन-फानन में सत्ता छोड़नी पड़ी। फिलहाल वो भारत में हैं और कब तक यहां रहेंगी इसका पता नहीं चला है। इन सबके बीच मोहम्मद यूनुस की देखरेख में अंतरिम सरकार बनी है, जिनके लिए हिंसा रोकना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
शेख हसीना के भारत में रहने से बांग्लादेश में उबाल आया हुआ है। अंतरिम सरकार के प्रमुख से लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी तक सीधे तौर पर भारत से हसीना की वापसी का मांग कर रहा है। बांग्लादेश के अंतरिम पीएम मुहम्मद यूनुस ने कहा कि जब भारत ने विरोध प्रदर्शन को हमारा आंतरिक मामला बताया तो मुझे दुख हुआ। हम इसके लिए भारत को माफ नहीं कर सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि भाई के घर में आग लग गई तो मैं कैसे कह सकता हूं कि यह अंदर का मामला है? भारत ने हमारा साथ नहीं दिया। हम एक परिवार की तरह है लेकि जब भारत ने कहा कि यह आतंरिक मामला है तो मुझे दुःख हुआ।
1991 में बीएनपी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे गायेश्वर राय ने एक भारतीय समाचार पत्र से बात करते हुए कहा कि भारत सरकार बांग्लादेश की भावनाओं को समझे। बीएनपी भारत विरोधी है के सवाल पर उन्होंने कहा कि क्या हिंदुस्तान को सिर्फ एक पार्टी को बढ़ावा देना चाहिए, देश को नहीं? भारत सरकार को बांग्लादेश के लोगों की भावना को समझना होगा। उन्हें आपसी सहयोग करना चाहिए। यदि आप हमारे शत्रु की मदद करते हैं तो फिर सहयोग कठिन हो जायेगा। पूर्व विदेश मंत्री ने पिछले चुनाव के दौरान कहा था कि भारत शेख हसीना को सत्ता में वापसी के लिए मदद करेगा। इस सबसे पारस्परिक सहयोग कठिन होता है।
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