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तालिबानी अधिकारियों को क्यों ट्रेन कर रहा है भारत? जानिए क्या हुआ समझौता

नई दिल्ली: भारत ने एक पाठ्यक्रम समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसके तहत तालिबान के राजनयिकों को ट्रेनिंग दी जाएगी. ‘Immersing With Indian Thoughts’ नामक इस पाठ्यक्रम पर दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने सहमति जताते हुए हस्ताक्षर किए हैं. समझौते के अनुसार, भारत तालिबान शासित अफगानिस्तान के राजदूतों और राजनयिक कर्मचारियों को ऑनलाइन माध्यम […]

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तालिबानी अधिकारियों को क्यों ट्रेन कर रहा है भारत? जानिए क्या हुआ समझौता
  • March 13, 2023 6:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: भारत ने एक पाठ्यक्रम समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसके तहत तालिबान के राजनयिकों को ट्रेनिंग दी जाएगी. ‘Immersing With Indian Thoughts’ नामक इस पाठ्यक्रम पर दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने सहमति जताते हुए हस्ताक्षर किए हैं. समझौते के अनुसार, भारत तालिबान शासित अफगानिस्तान के राजदूतों और राजनयिक कर्मचारियों को ऑनलाइन माध्यम से ट्रेनिंग देगा.

क्या है पूरा समझौता

काबुल स्थित भारतीय दूतावास ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते में कहा गया है कि लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वैश्विक स्तर पर यह पाठ्यक्रम समझौता किया जा रहा है. जिसके तहत काबूल स्थित अफगान इंस्टिट्यूट ऑफ डिप्लोमेसी में तालिबान के राजनयिकों और उच्च रैंक के अधिकारियों को ऑनलाइन माध्यम से दी जाएगी. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ कोझिकोड की ओर से यह ट्रेनिंग दी जाएगी.

कब से होगी शुरुआत?

IIM कोझिकोड ने ट्वीट कर कहा है कि प्रतिभागियों को इस कोर्स के माध्यम से भारत के कारोबारी माहौल, सांस्कृतिक विरासत और रेगुलेटरी इकोसिस्टम की समझ मिलेगी. Immersing With Indian Thoughts नाम से यह एक अल्पकालीन पाठ्यक्रम होगा. यह पाठ्यक्रम 14 मार्च से लेकर 17 मार्च तक चलेगा.

जानें प्रतिक्रियाएं

अफगानिस्तान के एक पत्रकार ने भारत और तालिबान शासित इस समझौते पर ट्वीट कर लिखा, ‘ तालिबान के लिए भारत सरकार ने विशेष पाठ्यक्रम Immersing With Indian Thoughts बनाया है. यह 14-17 मार्च 2023 तक चलेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन में सुधार लाने की दृष्टि से तालिबान के अधिकारियों पर कितना प्रभाव पड़ेगा.’इसके अलावा अफगानी पत्रकार ने आगे लिखा, अफगानिस्तान में इस समय एक संतुलित और ठोस ढाँचे की जरूरत है. ना कि किसी अल्पकालीन कोर्स की. इसी कड़ी में उन्होंने लिखा, ‘तालिबान शासित अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ाने के लिए एक संतुलित और ठोस नीतिगत ढांचे की जरूरत है, न कि अल्पकालिक हड़बड़ी वाले पाठ्यक्रम की. करीब 3,000 अफगान छात्र अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं. उनकी मदद की जानी चाहिए.’

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