नई दिल्ली। इतिहास में कई ऐसे तानाशाह हुए जिन्होंने अपनी क्रूरता से लोगों को प्रताड़ित किया। हालांकि उनके पतन की भी एक एक्सपायरी डेट निश्चित थी। दुनिया में माओ, सद्दाम हुसैन, कर्नल गद्दाफी जैसे कई खतरनाक तानाशाह हुए। इसमें से एक तानाशाह पाकिस्तान के ज़िया उल हक थे। आज हम आपको मोहम्मद ज़िया उल हक की क्रूरता के बारे में बताएँगे, जिसने अपने ही प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी के फंदे पर लटका दिया। जिया उल-हक एक समय पाकिस्तान आर्मी के सेनापति थे, उन्हें आतंकवाद का अब्बू कहा जाता था।
जिया उल-हक का जन्म 12 अगस्त 1924 को पंजाब के जालंधर में हुआ था। उसने अपनी पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से की थी। बाद में देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकादमी में पढ़ाई की। बंटवारे के बाद अपनी परिवार के साथ पाकिस्तान चला गया। 1971 की जंग में पाकिस्तान की हार के बाद वहाँ की सरकार बदल गई और जुल्फिकार अली भुट्टो नए वजीर-ए-आजम बने। उस समय जिया भुट्टो की खूब चमचागिरी करते थे। भुट्टो ने उन्हें पाकिस्तान का नया सेना प्रमुख बना दिया। 1977 में पाकिस्तान में तख्तापलट कराकर भुट्टो को जेल में डाल दिया। 1978 में एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें फांसी दे दी गई।
अपने शासन काल में जिया उल हक़ ने कई कानून बदल डाले। जिया उल हक़ पाकिस्तान में खौफ का दूसरा नाम बन गया। लोगों को कोड़े मारना, पत्थर से मारकर जान ले लेना, बीच चौराहे सूली पर लटका देना पाकिस्तान में आम बात हो गया था। अगर किसी महिला के साथ बलात्कार होता था तो गवाही न मिलने पर उल्टे उसे ही मौत के घाट उतार दिया जाता था। अगर गवाही मिल जाती थी तो जिसके साथ दुष्कर्म होता था उसकी बहन के साथ बलात्कार करने की इजाजत मिलती थी। हालांकि जिया उल हक भारत की पीएम इंदिरा गांधी से डरता था। कहा जाता है कि वो इंदिरा गांधी की बहुत आदर करता था, शायद वो ऐसा 1971 की लड़ाई को याद करके करता हो।
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