नई दिल्ली: इस समय पूरी दुनिया यूक्रेन और रूस के युद्ध को झेल रही है जिससे अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में काफी उतार चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है. क्योंकि ये दोनों ही देश ऊर्जा संसाधनों जैसे कच्चा तेल, बिजली आदि के बड़े उत्पादक हैं. ऐसे में अमेरिका समेत दुनिया के कई पश्चिमी देशों ने रूस पर […]
नई दिल्ली: इस समय पूरी दुनिया यूक्रेन और रूस के युद्ध को झेल रही है जिससे अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में काफी उतार चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है. क्योंकि ये दोनों ही देश ऊर्जा संसाधनों जैसे कच्चा तेल, बिजली आदि के बड़े उत्पादक हैं. ऐसे में अमेरिका समेत दुनिया के कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है इसके परिणाम स्वरुप रूस भारत कोई काफी रियायती दरों पर तेल का निर्यात कर रहा है. भारत भी अब अमेरिका की चेतावनी और आर्थिक प्रतिबंधों को नज़रअंदाज़ करते हुए भारी मात्रा में रूस से कच्चे तेल का आयात कर रहा है.
दरअसल इस पर भारत ने तर्क दिया है कि वो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जहां से भी रियायती कीमतों पर कच्चा तेल मिलेगा वहीं से खरीदेगा. इसके बाद भी रूस के साथ भारत के व्यापार को अनुकूल नहीं करार दिया जा सकता है. बता दें, भारत का व्यापार घाटा रूस के साथ सात गुना बढ़कर 34.79 अरब डॉलर हो गया है. व्यापार संतुलन किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है. मतलब किसी भी देश की ये कोशिश होती है कि अन्य देशों के साथ उसका व्यापार घाटा कम से कम हो. , क्योंकि व्यापार करने वाले दोनों देशों के बीच ट्रेड डील आमतौर पर डॉलर में होती है व्यापार घाटा अधिक होने से किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है.
भारत का रूस के साथ रिकॉर्ड व्यापार घाटा होने का प्रमुख कारण बंपर तेल आयात है. व्यापार घाटा का आंकड़ा भारत के लिए इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि भारतीय व्यापार घाटा अब 101.02 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर के पार चला गया है. हालांकि पहली बार भारत के व्यापार घाटे ने 100 अरब डॉलर को पार किया है. यानी देश में निर्यात की तुलना में आयात ज्यादा हो रहा है.
दूसरी ओर रूस पर आर्थिक प्रतिबन्ध लागू है जिससे रूस को भुगतान के लिए अन्य विदेशी मुद्राओं की जरूरत है. भारत रुपए-रूबल मैकेनिज़्म पर व्यापार करने पर जोर दे रहा है. लेकिन रूसी बैंक रुपए में व्यापार नहीं करना चाहते हैं क्योंकि भारत से रूस आयात कम ही कर पाटा है. यही कारण है कि व्यापार संतुलन काफी हद तक रूस के पक्ष में है.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस असंतुलित व्यापार को पाटने के लिए कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं. हाल ही में वित्त मंत्री ने कहा था कि रूस से तेल खरीदने के लिए जरूरी है कि वह अपने भुगतान माध्यमों में सुधार करे.
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