Child Marriage: हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट ने मुस्लिम देशों में बाल विवाह के मामलों में अचानक वृद्धि को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. यह रिपोर्ट वैश्विक स्तर पर बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा पर केंद्रित है जिसमें मुस्लिम बहुल देशों में बाल विवाह की बढ़ती प्रवृत्ति को प्रमुखता से रेखांकित किया गया है.
बाल विवाह का बढ़ता आकड़ा
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार हाल के वर्षों में मुस्लिम देशों में बाल विवाह के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है. यह स्थिति न केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है बल्कि उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र विकास पर भी गहरा असर डाल रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इन देशों में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी की दर में वृद्धि देखी गई है जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है.
इस वृद्धि के पीछे कई सामाजिक और सांस्कृतिक कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. कई मुस्लिम देशों में परंपराएं और रीति-रिवाज अभी भी समाज को गहरे प्रभावित करते हैं. एक विशेषज्ञ ने रिपोर्ट में बताया, ‘कई समुदायों में बाल विवाह को पारिवारिक सम्मान और आर्थिक स्थिरता से जोड़ा जाता है.’ गरीबी और अशिक्षा के कारण परिवार अपनी बेटियों की जल्दी शादी कर देते हैं ताकि उनकी जिम्मेदारी से मुक्ति मिल सके. इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में धार्मिक व्याख्याओं का गलत इस्तेमाल भी इस प्रथा को बढ़ावा दे रहा है.
सुरक्षा के नाम पर कम उम्र में शादी
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मुस्लिम देशों में चल रहे संघर्ष और आर्थिक संकट ने बाल विवाह को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है. युद्धग्रस्त क्षेत्रों में परिवार अपनी बेटियों को सुरक्षा देने के नाम पर कम उम्र में उनकी शादी कर देते हैं. एक प्रभावित क्षेत्र के निवासी ने कहा, ‘हमें लगता है कि शादी उनकी जिंदगी को बेहतर बना सकती है लेकिन हकीकत में यह उनके बचपन को छीन लेती है.’ आर्थिक तंगी के कारण दहेज या मेहर की राशि भी इस फैसले को प्रभावित करती है.
बाल विवाह से हिंसा का शिकार
Oxfam और UNICEF के अनुसार, 15 से 19 साल की शादीशुदा लड़कियों में से 70% किसी न किसी रूप में हिंसा का शिकार होती हैं. कम उम्र में गर्भधारण से जटिलताओं और मातृ मृत्यु दर बढ़ जाती है. इसके अलावा, शादी के बाद लड़कियों की शिक्षा बाधित हो जाती है. जिससे उनके जीवन में आर्थिक और सामाजिक अवसर सीमित हो जाते हैं.
कई मुस्लिम देशों में बाल विवाह को रोकने के लिए सख्त कानूनों का अभाव है. जहां कुछ देशों ने न्यूनतम विवाह आयु निर्धारित की है वहीं इन कानूनों का पालन कम ही होता है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि बिना प्रभावी कानूनी ढांचे और जागरूकता के इस समस्या पर काबू पाना मुश्किल होगा.