नई दिल्ली : ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने तेहरान की ग्रैंड मस्जिद में हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह को अंतिम विदाई दी। उनकी याद में जुम्मे की नमाज अदा की गई। इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद हजारों लोगों को संबोधित किया। उन्होंने अरब मुसलमानों से दुश्मन के खिलाफ एकजुट होने को कहा है। हिजबुल्लाह कमांडर को गुप्त स्थान पर दफनाया गया है। गुप्त स्थान पर दफनाना यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, न केवल हिज़्बुल्लाह और अरब देशों के लिए, बल्कि इज़राइल और अमेरिका के लिए भी। अब सवाल यह है कि आतंकियों के शवों को क्यों गुप्त स्थान पर दफनाया जाता है, उन्हें किसका डर होता है ?
इसकी वजह है कुछ शक्तिशाली देशों का डर। अगर आतंकी सरगना को पूरे रीति-रिवाजों के साथ दफनाया गया तो वह जगह चरमपंथियों के लिए इबादत स्थल बन सकती है, जिसके बाद आतंकवाद और बढ़ जाएगा। ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद अमेरिका इतना डर गया था कि उसने शव के कई टुकड़ों को समुद्र में फेंक दिया गया था।
मई 2011 में अमेरिकी नेवी ने एक गुप्त अभियान में उस समय पाकिस्तान में छिपे लादेन को मार गिराया था। हत्या के तुरंत बाद लादेन का डीएनए टेस्ट किया गया ताकि पुष्टि हो सके कि शव उसी आतंकवादी का है जिसकी वाशिंगटन इतने सालों से तलाश कर रहा था। पूरी प्रक्रिया एक घंटे के भीतर पूरी हो गई। इसके बाद अमेरिकी कमांडो उसके शव को एक बैग में भरकर अफगानिस्तान ले गए। यहां से उसे विशेष युद्धपोत यूएसएस कार्ल विंसन में लाया गया।
दरअसल, ओसामा के गृह देश सऊदी अरब ने कथित तौर पर उसके शव को लेने से इनकार कर दिया था। अब पूरी जिम्मेदारी अमेरिका पर थी। सरकार को डर था कि अगर लादेन को इस्लामिक तरीके से दफनाया गया तो वह जगह चरमपंथियों के लिए इबादत की जगह बन जाएगी। साथ ही, आतंकी बदला लेने के लिए नए पैंतरे आजमा सकते थे। ज्यादा समय नहीं था। इस समय तक ओसामा की मौत की घोषणा हो चुकी थी। अगर शव को लंबे समय तक रखा जाता तो धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचने का खतरा था।
इस्लामिक स्टेट (ISIS) के सरगना अबू बकर अल-बगदादी की कथित आत्महत्या के बाद उसके शव को भी अमेरिकी कमांडो समूह ने समुद्र में फेंक दिया था। अक्टूबर 2019 में अमेरिकी स्पेशल फोर्स ने सीरिया में एक ऑपरेशन चलाया और आतंकी ठिकानों पर छापेमारी की। पकड़े जाने से बचने के लिए बगदादी ने खुद को विस्फोटक से उड़ा लिया। मौके पर ही DNA टेस्ट किए गए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मारा गया व्यक्ति वही है। यहां से उसके शव को अज्ञात स्थान पर समुद्र में दफना दिया गया।
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इजरायली हमले के डर से हसन नसरल्लाह को गुप्त स्थान पर दफनाया गया है। इससे पहले उनके शोक में एक बड़ा जनाजा निकालने की तैयारी थी, लेकिन इजरायल के हमले के डर से ऐसा नहीं हो सका। जब नसरल्लाह को दफनाया जा रहा था, तब अली खामेनेई ग्रैंड मस्जिद में नमाज अदा कर रहे थे।
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