WHO: सांस संबंधी बीमारियों को लेकर WHO ने सदस्य देशों को किया आगाह, कहा- कड़ी निगरानी करने की आवश्यकता

नई दिल्लीः सांस संबंधी बीमारियों के बढ़ने और कोरोना के नए सब वैरिएंट जेएन.1 के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सदस्य देशों को आगाह किया है। WHO ने जानकारी दी है कि वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है। ऐसे में सभी सदस्य देश अपने यहां मजबूत सर्विलांस रखें ताकि बीमारियों के प्रसार को रोका जा […]

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WHO: सांस संबंधी बीमारियों को लेकर WHO ने सदस्य देशों को किया आगाह, कहा- कड़ी निगरानी करने की आवश्यकता

Tuba Khan

  • December 18, 2023 9:09 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्लीः सांस संबंधी बीमारियों के बढ़ने और कोरोना के नए सब वैरिएंट जेएन.1 के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सदस्य देशों को आगाह किया है। WHO ने जानकारी दी है कि वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है। ऐसे में सभी सदस्य देश अपने यहां मजबूत सर्विलांस रखें ताकि बीमारियों के प्रसार को रोका जा सके। WHO ने कोविड19 पर संगठन की टेक्निकल लीड मारिया वान केरखोव का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इस वीडियो में केरखोव ने सांस संबंधी बीमारियों के फैलने का कारण बताया है और इन्हें रोकने के लिए क्या सावधानी रखने की जरूरत है, उसकी भी सूचना दी है।

सरकारों को कड़ी निगरानी करने की आवश्यकता

मारिया वान केरखोव ने भी सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में बताया कि सांस संबंधी बीमारियां दुनिया में लगातार बढ़ती जा रही हैं। इनमें कोरोना वायरल, फ्लू, रिनो वायरस, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और अन्य बीमारियां शामिल हैं। सार्स कोव-2 लगातार अपने आप को बदल रहा है। कोरोना का सब वैरिएंट जेएन.1 भी अपने पैर फैला रहा है। केरखोव बोलीं कि सांस संबंधी बीमारियों के फैलने के कई कारण है, इनमें एक मौजूदा छुट्टियों का सीजन भी है, जिसमें परिवार इकट्ठा होते हैं और बड़ी संख्या में लोग यात्राएं करते हैं। ऐसे में सरकारों को कड़ी निगरानी करने की आवश्यकता है।

केरखोव ने आगे कहा कि लोग सर्दियों के मौसम में ज्यादा वक्त घर के अंदर गुजारते हैं। ऐसे में अगर घर में वेंटिलेशन का अभाव है तो ऐसे में बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस फैल रहा है और फिलहाल कोरोना के 68 फीसदी मामले सब वैरिएंट जेएन.1 के कारण से हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सदस्य देशों से अनुरोध किया है कि वह मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी नियमों को लागू कर उनका पालन करवाए और कड़ी निगरानी करें।

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