नई दिल्ली: कई दशक बीत गए जब भारत ने मध्य पूर्व एशिया के दो सबसे ताकतवर देशों से दोस्ती की थी. जिसमें एक था दुनिया का सबसे ताकतवर इस्लामिक देश ईरान, तो दूसरा यहूदी देश इजरायल. दोनों से ही भारत के रिश्ते अच्छे थे. हालांकि अब भी भारत के साथ दोनों देशों की दोस्ती अच्छी […]
नई दिल्ली: कई दशक बीत गए जब भारत ने मध्य पूर्व एशिया के दो सबसे ताकतवर देशों से दोस्ती की थी. जिसमें एक था दुनिया का सबसे ताकतवर इस्लामिक देश ईरान, तो दूसरा यहूदी देश इजरायल. दोनों से ही भारत के रिश्ते अच्छे थे. हालांकि अब भी भारत के साथ दोनों देशों की दोस्ती अच्छी है, लेकिन अब जब ईरान और इजरायल के बीच जंग शुरू हो चुकी है. वहीं भारत के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह बन चुकी है कि वह साथ किसका दे. अगर वो ईरान का साथ देता है तो इजरायल नाराज हो जाएगा. वहीं अगर इजरायल का साथ देता है तो ईरान नाराज हो जाएगा. ऐसे में देखा जाए तो एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई.
अब सवाल यह उठता है कि इजरायल और ईरान के बीच भारत किसका साथ देगा, इस सवाल के जवाब से पहले उस तथ्य को समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस जंग में भारत की एंट्री क्यों हो रही है. बता दें कि इसकी वजह यह है 13 अप्रैल को ईरान की तरफ से इजरायल पर किया गया हमला, जिसमें ईरान की फोर्स ने उस जहाज को हाईजैक कर लिया. जिस जहाज पर 17 भारतीय सवार थे. वहीं अब भारतीय नागरिक अगवा हुए तो जाहिर है कि विदेश मंत्रालय को हस्तक्षेप करना ही पड़ता और बिल्कुल ऐसा ही हुआ, विदेश मंत्रालय को हस्तक्षेप करना ही पड़ा.
बता दें कि विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्ला से बातचीत की. वहीं बात करने के बाद यह तय हो गया कि भारत का प्रतिनिधिमंडल ईरान के कब्जे में फंसे भारतीय नागरिकों से बात करेगा. हालांकि इससे पहले भी भारत ने अपनी तरफ से ईरान और इजरायल में रह रहे भारतीय लोगों को एडवाइजरी जारी करके ये सलाह दी. बता दें कि उन्होंने यह सलाह दी थी कि सभी लोग भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें और अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें. इतना ही नहीं भारत ने अपनी तरफ से ईरान और इजरायल की यात्रा पर जाने वाले लोगों को अगले नोटिस तक यात्रा करने की सलाह दी थी.
बता दें कि भारत की इजरायल एंबेसी राजधानी तेल अवीव में है, तो वहीं इजरायल की नई दिल्ली में. हालांकि इसके अलावा मुंबई और बेंगलुरु में भी काउंसलेट हैं. रुस के बाद इजरायल ही दूसरा देश है जिससे भारत अपने हथियार खरीदता है. इजरायल के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन 2003 में भारत आए थे और ऐसा करने वाले वो पहले इजरायली पीएम थे. वहीं जब मुंबई पर 2008 में आतंकी हमला हुआ था, तब भी इजरायल ने अपनी टीम भेजने और आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में साथ देने की बात की थी. हालांकि वो लगातार आतंक के खिलाफ भारत के साथ खड़े रहने की बात करता रहता है.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जनवरी 2018 में भारत आए थे. वहीं इस दौरान उनके साथ 130 डेलिगेट्स मौजूद थे और ये अब तक का सबसे बड़ा डेलिगेशन था. हालांकि तब पीएम मोदी खुद प्रोटोकॉल तोड़कर उन्हें रिसीव करने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे. पिछले कुछ साल में इजरायल और भारत के बीच हुई डिफेंस डील पूरी दुनिया को पता है और जब हमास ने इजरायल पर आतंकी हमला किया था, तो भारत का इजरायल के साथ खड़े रहने को पूरी दुनिया ने देखा. वहीं आज भी हमास के मुद्दे पर तो भारत इजरायल के साथ ही खड़ा है.
ऐसे में भारत के लिए इजरायल और ईरान दोनों जरूरी है. ये पहला मौका नहीं है, जब भारत के सामने ऐसी चुनौती सामने आई है. बता दें कि इससे पहले भी साल 2012 में फरवरी के महीने में इजरायल के एक डिप्लोमेट की पत्नी पर नई दिल्ली में हमला हुआ था. वहीं इस हमले के लिए इजरायल ने ईरान को जिम्मेदार ठहराया था. अब भारत की सबसे बड़ी चिंता यही है कि अगर ईरान और इजरायल के बीच की जंग बड़ी होती है तो सबसे बड़ा खतरा भारतीयों पर आएगा. वहीं भारत का 80 फीसदी तेल पश्चिमी एशिया से आता है और अगर जंग बड़ी हुई तो इस तेल सप्लाई पर असर पड़ना और फिर भारत में तेल का महंगा होना अनिवार्य है. ऐसे में भारत की कोशिश इस जंग को रोकने में है. वहीं दुनिया के तमाम देश कोशिश कर रहे हैं कि जंग खत्म हो और अमन कायम हो. बाकी आखिरी फैसला तो ईरान और इजरायल को ही लेना है.
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