Who is Gotabaya Rajapaksa New President of Sri Lanka: श्रीलंका में एक दिन पहले हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. पोडुजाना पेरमुना पार्टी के उम्मीदवार गोटाबाया राजपक्षे ने इस चुनाव में जीत दर्ज की है. गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं. तमिल उग्रवादी संगठन लिट्टे का खात्मा करने में गोटाबाया की प्रमुख भूमिका थी. गोटाबाया राजपक्षे, महिंदा सरकार में रक्षा सचिव रह चुके हैं.
कोलंबो. श्रीलंका में शनिवार को हुए आम चुनाव के बाद राजपक्षे परिवार फिर से सत्ता में आ रहा है. श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व रक्षा सचिव गोटाबाया राजपक्षे ने आम चुनाव में जीत दर्ज की है. गोटाबाया श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति होंगे. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गोटाबाया राजपक्षे को जीत के लिए बधाई दी है. श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर हुए आतंकवादी हमलों के सात महीनों बाद हुए आम चुनाव में पोडुजाना पेरमुना पार्टी के उम्मीदवार गोटाबाया राजपक्षे ने न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट के साजित प्रेमदासा पर जीत दर्ज की है.
गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति होंगे. उनके भाई महिंदा राजपक्षे भी श्रीलंका के राष्ट्रपति रह चुके हैं. महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में गोटाबाया रक्षा समचिव थे. गोटाबाया राजपक्षे सिंहल बुद्ध समुदाय से आते हैं. श्रीलंका में उन्होंने तमिल उग्रवादी संगठन लिट्टे के खात्मे में प्रमुख भूमिका निभाई थी.
क्रूर सैनिक के रूप में थी पहचान-
जब श्रीलंका ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का हिस्सा था तब गोटाबाया राजपक्षे ने सेना जॉइन की थी. करीब 20 साल के सैन्य करियर में उन्होंने तीन राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार जीते. सेना में उनकी एक क्रूर सैनिक के रूप में पहचान थी.
सेना से रिटायर होने के बाद अमेरिका चले गए-
श्रीलंकाई सेना से रिटायर होने के बाद गोटाबाया राजपक्षे ने आईटी कोर्स किया और एक आईटी कंपनी से जुड़ गए. इसके बाद 1998 में वे अमेरिका चले गए. उन्होंने अमेरिका की नागरिकता भी ले ली.
2005 में अमेरिका से लौटे और श्रीलंकाई सरकार से जुड़े, लिट्टे के खात्मे में प्रमुख भूमिका निभाई-
अमेरिका से श्रीलंका वापिस लौटने के बाद 2005 में गोटाबाया रक्षा सचिव बने. उस समय गोटाबाया के भाई महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति थे. राजपक्षे सरकार ने लिट्टे का खात्मा करने के लिए अभियान चलाया था. जिसमें गोटाबाया ने प्रमुख भूमिका निभाई थी.
उन्होंने 2007 से 2009 के बीच लिट्टे के खिलाफ चले सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया था. अंत में 9 मई 2009 को प्रभाकरण की हत्या के बाद लिट्टे का आधिकारिक रूप से खात्मा हुआ.
गोटाबाया पर लगे मानवाधिकार हनन के आरोप-
लिट्टे के खिलाफ हुए युद्ध में गोटाबाया राजपक्षे पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने क्रूरता और मानवाधिकार हनन के आरोप लगाए. उस दौरान विकीलीक्स ने भी खुलासा किया था कि लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण श्रीलंकाई सरकार से समझौता कर सरेंडर करना चाहता था. अमेरिकी नागरिकता होने के बावजूद इन आरोपों के चलते गोटाबाया पर अमेरिका में आने की पाबंदी लगाई थी.
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