नई दिल्ली: वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार की ह्वाइट हाउस जर्नलिस्ट सबरीना सिद्दीकी इस समय सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग का सामना कर रही हैं. दरअसल इसकी शिकायत खुद अखबार ने व्हाइट हाउस से की है कि उनकी महिला पत्रकार ने जब से पीएम मोदी से सवाल पूछा है तब से उसे काफी ट्रोल किया जा […]
नई दिल्ली: वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार की ह्वाइट हाउस जर्नलिस्ट सबरीना सिद्दीकी इस समय सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग का सामना कर रही हैं. दरअसल इसकी शिकायत खुद अखबार ने व्हाइट हाउस से की है कि उनकी महिला पत्रकार ने जब से पीएम मोदी से सवाल पूछा है तब से उसे काफी ट्रोल किया जा रहा है. ऐसे में ये जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर कौन है सबरीना सिद्दकी जिनके एक सवाल ने अमेरिका से लेकर भारत में खलबली मचा दी.
अमरीका की महिला पत्रकार सबरीना का जन्म 8 दिसंबर 1986 को वॉशिंगटन में हुआ. सबरीना सिद्दीकी इस समय अपने पति अली और बेटी के साथ रहती हैं दोनों की शादी मुस्लिम और ईसाई रीति रिवाज़ों से हुई थी. अमेरिका के शिकागो की नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल ऑफ जर्नलिज्म से सबरीना ने ग्रेजुएशन की जहां से उन्होंने 24 साल की उम्र में ब्लूमबर्ग न्यूज से फ्रीलांस का काम शुरू किया.
फ्रीलांस करने के बाद उन्होंने गार्जियन के लिए भी काम किया जहां से उन्होंने CNN के लिए बतौर पॉलिटिकल एनालिस्ट काम किया. हफिंगस्टन पोस्ट के लिए भी सबरीना काम कर चुकी हैं. उनके परिवार की बात करें तो सबरीना के पिता जमीर भारत-पाक मूल के अमेरिकी नागरिक हैं जिनका जन्म भारत में हुआ लेकिन परवरिश पाकिस्तान में हुई थी. सबरीना की मां निशात सिद्दीकी मूल रूप से पाकिस्तान की हैं जो इस समय अमेरिका की मशहूर शेफ भी हैं.
दरअसल अखबार ने इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें लिखा है कि सबरीना को बतौर मुस्लिम टारगेट किया जा रहा है जिसके जवाब में व्हाइट हाउस ने कहा कि उन्हें उत्पीड़न की जानकारी है. व्हाइट हाउस ने इस घटना को अस्वीकार्य बताया है और उत्पीड़न की घटना की निंदा भी की है. बता दें, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे तो सबरीना ने उनसे अल्पसंख्यकों को लेकर सवाल किया था. हालांकि इस सवाल के बाद महिला पत्रकार सोशल मीडिया यूज़र्स के निशाने पर आ गई हैं.
सबरीना सिद्दीकी की सवाल की बात करें तो उन्होंने पीएम मोदी से पूछा था कि आज भारत खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश मानता है लेकिन ऐसे कई मानवाधिकार संगठन भी है जो कहते हैं कि आपकी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करती है. साथ ही आपकी सरकार अपने आलोचकों को चुप करवाने की कोशिश करती है. सबरीना ने आगे पूछा कि पीएम मोदी की सरकार मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों में सुधार लाने और स्वतंत्र अभिव्यक्ति को बनाए रखने के लिए आखिर किस तरह के कदम उठा रही है?