WHO ने मंकीपॉक्स के 11 देशों में 80 मामलों की पुष्टि की, जानिए इस वायरस की पूरी डिटेल

WHO ने मंकीपॉक्स के 11 देशों में 80 मामलों की पुष्टि की, जानिए इस वायरस की पूरी डिटेल नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 11 देशों में मंकीपॉक्स के 80 मामलों की पुष्टि की है। संगठन इस नई बीमारी पर शोध कर रहा है ताकि इसके पीछे के कारणों के साथ-साथ जोखिम का भी […]

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WHO ने मंकीपॉक्स के 11 देशों में 80 मामलों की पुष्टि की, जानिए इस वायरस की पूरी डिटेल

Pravesh Chouhan

  • May 21, 2022 1:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

WHO ने मंकीपॉक्स के 11 देशों में 80 मामलों की पुष्टि की, जानिए इस वायरस की पूरी डिटेल

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 11 देशों में मंकीपॉक्स के 80 मामलों की पुष्टि की है। संगठन इस नई बीमारी पर शोध कर रहा है ताकि इसके पीछे के कारणों के साथ-साथ जोखिम का भी पता लगाया जा सके। गुरुवार को जारी एक बयान में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह वायरस स्थानिक है, जो कुछ देशों के जानवरों में मौजूद है। इससे यह संक्रमण स्थानीय पर्यटकों और लोगों के बीच में ही फैलता है।

संक्रमण ज्यादा नहीं फैलता

आपको बता दें कि इस महामारी की पूरी तरह से खत्म होने की संभावना नहीं है लेकिन यह संक्रमण ज्यादा नहीं फैलता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इस स्थिति में लोगों को हमेशा के लिए उसी संक्रमण के साथ रहना पड़ता है।

पहले भी हो चुका है शोध

मंकीपॉक्स पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में देखा गया था। मनुष्यों में पहली बार 1970 में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। वायरस के दो मुख्य उपभेद पश्चिम अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी हैं। ब्रिटेन में मिले संक्रमित मरीजों में से दो नाइजीरिया से आए थे। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि यह पश्चिम अफ्रीकी नस्ल हो सकता है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। आपको बता दें कि मंकीपॉक्स चेचक वायरस परिवार से संबंधित है।

ये है लक्षण

मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद, रोगी में बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सामान्य सुस्ती के लक्षण दिखाई देते हैं। बुखार के समय अत्यधिक खुजली वाले दाने हो सकते हैं, जो अक्सर चेहरे पर शुरू होते हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं। संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिनों तक रहता है।

जानवरों को खाने से भी हो सकता है संक्रमण

मंकीपॉक्स का वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से फैल सकता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी मंकीपॉक्स हो सकता है।

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