नई दिल्ली : अमेरिका पर जब 9/11 का हमला हुआ था. उसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को धमकी दी थी.अमेरिका ने कहा था कि अगर राष्ट्रपति मुशर्रफ ने अफगानिस्तान में अमेरिका के युद्ध में सहयोग नहीं किया तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा. आगे कहा कि पाकिस्तान पर इतनी बमबारी करेंगे कि ,पाकिस्तान पाषाण युग […]
नई दिल्ली : अमेरिका पर जब 9/11 का हमला हुआ था. उसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को धमकी दी थी.अमेरिका ने कहा था कि अगर राष्ट्रपति मुशर्रफ ने अफगानिस्तान में अमेरिका के युद्ध में सहयोग नहीं किया तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा. आगे कहा कि पाकिस्तान पर इतनी बमबारी करेंगे कि ,पाकिस्तान पाषाण युग में पहुंच जाएगा. इसका जिक्र राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब में किया था.
राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ ने अपनी किताब in the line of fire a memoir में इस घटना का जिक्र किया था. जनरल परवेज मुशर्रफ ने लिखा कि पाकिस्तान के ISI ( इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस ) के चीफ 9/11 के हमले के समय वाशिंगटन में थे. तब ये धमकी अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री रिचर्ड आर्मिटेज ने दी थी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जरनल परवेज मुशर्रफ ने 9/11 हमलों के बाद की स्थिति का जिक्र करते हुए लिखा कि अब तक के अराजनयिक बयान में रिचर्ड ने आईएसआई चीफ से कहा कि पाकिस्तान को तय करना है कि वे अमेरिका के साथ हैं या आतंकवादियों के साथ रहेगा. अगर पाकिस्तान ने आतंकवादियों का साथ दिया तो फिर हमें पाषाण युग में ले जाने वाले हमलों के लिए तैयार रहना चाहिए. परवेज मुशर्रफ के अनुसार यह आश्चर्यजनक खुली धमकी थी. रिचर्ड के व्यवहार से लग रहा था कि अमेरिका करारा पलटवार करने का फैसला किया था.
अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में शामिल होने के अपने कदम का बचाव करते हुए परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब में लिखा, उनका निर्णय अपने लोगों को भलाई के लिए और अपने देश के सर्वोत्तम हिल पर आधारित था. उन्होंने आगे अपने किताब में लिखा- यदि हम अमेरिका साथ नहीं देते तो हिंसक और क्रोधित प्रतिक्रियाओं का सामना करना होता. ऐसे में अगर हम अमेरका का साथ नहीं देते तो उनको हमले का हमको सामना करना पड़ सकता था.
परवेज मुशर्रफ ने आगे बताया कि अमेरिका का साथ देने का हमें कई फायदे मिले. मुशर्रफ ने किताब में 13 सितंबर 2001 को पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत वेंडी चेम्बरलेन ने उन्हें 7 मांग पत्र दिया था, जिसमें ऊपर से विमान को उड़ान भरने और उतारने के अधिकार शामिल थे. हालंकि परवेज मुशर्रफ ने अमेरिकी सेना को सीमा चौकियों और ठिकानों को सौंपने जैसी अमेरिका की कुछ मांगो का विरोध भी किया था. उन्होंने कहा कि हम अपनी सामरिक संपत्ति को खतरे में डाले बिना अमेरिका को अपने इलाके के ऊपर से उड़ान भरने और विमान उतारने के अधिकारों की अनुमति कैसे दे सकते थे. मुशर्रफ ने बताया कि मैने सिर्फ एक उड़ान कॉरिडोर की पेशकश की थी जो किसी भी संवेदनशील क्षेत्र से बहुत दूर था.
जनरल परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद रविवार को संयुक्त अरब अमीरात के अस्पताल में निधन हो गया था. परवेज मुशर्रफ अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित थे.
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