Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर भरी भरकम टैरिफ थोपकर वैश्विक व्यापार को चौपट कर दिया है। इसका असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिल रहा। अमेरिका ने टैरिफ चीन और भारत पर भी लगाया है।इसकी वजह से चीन और भारत के बीच एक दूसरे के करीब आने का रास्ता तैयार हो गया है। हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच के रास्ते पहले से काफी बेहतर भी हैं। पहले जहां सीमा विवाद की बातें सामने आती थी तो अब सहयोग की बातें हो रही है।
भारत और चीन एशिया के बड़े देश हैं। दोनों देशों की आबादी 2 अरब 80 करोड़ से ज्यादा है। दोनों देशों के बीच रिश्ते की जड़े पुरानी और गहरी है। जापान के खिलाफ युद्ध में भारत चीन का और आजादी की लड़ाई में चीन भारत की मदद कर चुका है। अब फिर से हालात बदल रहे हैं। अमेरिका के टैरिफ नीति से दोनों देश फिर साथ मिलकर काम कर सकते हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी कहा है कि दोनों देशों को साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए ताकि और बेहतर कर सके। तमाम मुश्किलों के बावजूद दोनों देश एक दूसरे पर निर्भर हैं।
अमेरिका की नई सरकार ने अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत भारत और चीन पर सख्त टैरिफ लगाए हैं। चीन पर 34% और भारत पर 26% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है। इससे दोनों देशों को नुकसान हो रहा है। जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आने वाले सामान पर 34% टैरिफ लगा दिया है। इस टैरिफ वॉर ने भारत और चीन को एक-दूसरे का साथ लेने पर मजबूर कर दिया है। दोनों देश अब व्यापार बढ़ाने और आपसी विश्वास को मजबूत करने की राह पर हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और चीन जैसे बड़े देश एक-दूसरे के दुश्मन नहीं हो सकते। टैरिफ के असर ने उन्हें सहयोग के महत्व को समझा दिया है। टैरिफ के कारण दोनों देशों को अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने की जरूरत है। चीन अब भारत के 1.4 बिलियन लोगों के बाजार की ओर देख रहा है। वहीं भारत भी अपने घाटे को कम करने के लिए चीन के साथ व्यापार बढ़ाना चाहता है। उदाहरण के लिए चीन भारत से दवाइयां, कृषि सामान और आईटी सेवाएं खरीद सकता है, जबकि भारत चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी खरीद सकता है।