नई दिल्ली: भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है। आरक्षण के मुद्दे पर युवा उग्र हो गए हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर भाग चुकी हैं। सेना ने सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ले ली है। पड़ोसी देश में मची उथल-पुथल का असर भारत पर भी पड़ सकता है। […]
नई दिल्ली: भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है। आरक्षण के मुद्दे पर युवा उग्र हो गए हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर भाग चुकी हैं। सेना ने सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ले ली है। पड़ोसी देश में मची उथल-पुथल का असर भारत पर भी पड़ सकता है। बांग्लादेश की बागडोर संभालने के बाद शेख हसीना ने कट्टरपंथियों पर लगाम कसी थी और भारत विरोधी गतिविधियां चलाने वाले संगठनों पर भी लगाम लगाई थी। आज शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बांगलादेश से लगती बॉर्डर की चौकसी बढ़ा दी है।
1971 में पाकिस्तान से अलग होकर देश बनने के बाद भारत ने ही सबसे पहले 6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी थी। हालांकि, उस समय यह पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा था। बांग्लादेश की सीमाएं तीन तरफ से भारत से घिरी हुई हैं और पड़ोसी देश की स्थिति सामरिक के साथ-साथ व्यापारिक और सुरक्षा के लिहाज से भी भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
भारत ने बांग्लादेश में भारी निवेश किया है और दोनों देशों के बीच छिटफुट सीमा विवादों को छोड़कर कभी भी बड़े विवाद की स्थिति नहीं बनी। पिछले 5 सालों में चीन ने बांग्लादेश में भारी निवेश किया है। बेल्ट एंड रोड एंसिएटिव परियोजना चीन की महत्वाकांक्षी योजना है। अब भारत भी चीन पर नज़र रख रहा है कि वह इन परिस्थितियों में क्या कदम उठाता है। भारत ने बांग्लादेश से लगी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी है।
शेख हसीना का सत्ता से बाहर होना कट्टरपंथियों के लिए बड़ी जीत है। दुनिया भर में छाए इस्लामिक कट्टरपंथी भारत के लिए नई नई चुनौतियां पेश करेंगे। दुनिया के कई इस्लामिक देश उदारवादी माने जाते हैं, अब उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि अगर उनके देश में भी कट्टरपंथी हावी हो गये तो मौजूदा शासकों के खिलाफ़ योजनाबद्ध अभियान चलाकर शेख हसीना की तरह सत्ता से हटा सकते हैं ।
बीएनपी की खालिदा जिया सरकार के दौरान बांग्लादेश में आतंकी संगठन पनपे थे और वहां कट्टरपंथियों का बोलबाला था। उस समय जमात-ए-इस्लामी के पास 20 सांसद भी थे। इतना ही नहीं खालिदा जिया के दौर में आतंकी तत्व बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों को चलाने के लिए करते थे। उस समय बांग्लादेश में उल्फा और कई अन्य चरमपंथी संगठनों के अड्डे हुआ करते थे। जब भी भारत सरकार ने तत्कालीन बांग्लादेश सरकार से इस संबंध में कार्रवाई करने को कहा तो खालिदा जिया की सरकार कहती थी कि भारत द्वारा दी जा रही जानकारी गलत है।
शेख हसीना अक्सर बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं को पूरी सुरक्षा का भरोसा दिलाती थीं और उनके धार्मिक आयोजनों में भी हिस्सा लेती थीं। शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़ने और हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचने की आशंकाएं बढ़ने लगी हैं। पहले भी वहां हिंदुओं पर भीषण हमले हुए हैं, इसलिए अब उनके लिए खतरा और बढ़ गया है।
भारत और बांग्लादेश के बीच भारी खूब व्यापार होता है। पड़ोसी देश में राजनीतिक तनाव से निश्चित रूप से दोनों देशों के व्यापारिक हितों पर असर पड़ेगा और इसमें भारत को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि वहां भारतीय माल की आपूर्ति होती है।
बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। ब्राजील के बाद भारत बांग्लादेश को कपास का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है और इसकी बाजार हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि बांग्लादेश की मौजूदी स्थिति भारतीय कंपनियों को प्रभावित करेगी। भारत को बांग्लादेश से कच्चा माल मिलता है और बांग्लादेश भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ा बाज़ार है।
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