नई दिल्ली : दुनिया के कई धर्मों में महिलाओं को ढकने के नियम हैं. ऐसा कई धर्मों में किया जाता है अब चाहे वो घूंघट से हो या फिर हिजाब, बुर्का या नकाब से. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. अरब संस्कृति में हिजाब और बुर्के का चलन इस्लाम से काफी समय पहले से किया जा रहा है. यहूदी और ईसाई महिलाएं भी इसी तरह का ड्रेस कोड पहनती आई हैं. कई इस्लामिक देशों ने इसे लेकर अपने-अपने कानून बनाए हैं. जहां इस समय दुनिया एंटी हिजाब प्रोटेस्ट का भी सामना कर रही है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि हिजाब, नकाब और बुर्के के बीच क्या अंतर होता है.
इस परिधान में महिलाएं सिर्फ सिर कान और गले को ही ढकती हैं. इसके थोड़ा बड़ा होने के बाद इससे कन्धों को भी ढका जा सकता है.
यह हिजाब और नकाब के बीच का एक कपड़ा होता है. ये बाद दो स्कार्फ़ का सेट है जिसमें से एक को सिर पर किसी टोपी की तरह ही पहना जाता है तो दूसरे को सीने से लपेटकर ओढ़ा जाता है.
नकाब में सिर, कान, गले, कंधें और छाती तक का हिस्सा इस तरह से ढका होता है कि महिलाओं की सिर्फ आंखें ही दिखाई देती हैं. यह काले रंग का कपड़ा होता है जो शरीर के ऊपरी भाग को ढकता है. इसे पिन से अटकाया जाता है जो कन्धों से होकर पूरे शरीर तक जाता है.
ये एक काले लबादे जैसा पोशाक होता है जो नकाब का ही एक अगला स्तर होता है. इसमें आँखों समेत पूरा शरीर ढका होता है. आँखों के आगे एक जालीदार कपड़ा लगा होता है.
यह एक कपड़ा होता है जिसमें चेहरे को छोड़कर पूरा शरीर ढका होता है.
ये दुपट्टे की तरह ही एक चौकोर स्कार्फ़ है जिससे सिर्फ सिर और बालों को ही ढका जाता है. इसके दोनों सिरे कन्धों के कोरों पर लटके होते हैं.
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