नई दिल्ली : रूस में वोल्गा नदी के किनारे बसे कज़ान शहर में ब्रिक्स का 16वां शिखर सम्मेलन शुरू हो गया है। पहली बार समूह के चार नए सदस्य ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कज़ान में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गर्मजोशी से स्वागत किया। सवाल उठता है कि पुतिन ने इस बार शिखर सम्मेलन के लिए कज़ान शहर को ही क्यों चुना, आइए जानते है इसके पीछे का मकसत।
रूस के तातारस्तान राज्य की राजधानी कज़ान दरअसल वहां का सबसे बड़ा शहर है। यह न केवल रूस, बल्कि पूर्वी यूरोप का भी सबसे पुराना शहर है।
आधिकारिक तौर पर कज़ान की स्थापना वर्ष 1005 में हुई मानी जाती है। 13वीं शताब्दी में यह पूरी दुनिया में मंगोल तातार साम्राज्य का हिस्सा था और 16वीं शताब्दी में यह रूसी साम्राज्य के अधीन आ गया। आज अगर रूस का यह सबसे बड़ा शहर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, तो इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह वहां का सबसे अमीर शहर भी है। पेट्रोकेमिकल्स और सैन्य उद्योग के साथ-साथ तेजी से बढ़ते प्रौद्योगिकी केंद्र की इसमें सबसे बड़ी भूमिका है।
कज़ान रूस के बीच में बसा है और दुनिया के अलग-अलग देशों से आने वाले नेताओं के लिए यहां पहुंचना आसान है। इसे वहां भविष्य के शहरों के तौर पर देखा जा रहा है। आज कज़ान में 30 से ज़्यादा यूनिवर्सिटी और 40 से ज़्यादा म्यूज़ियम और गैलरी हैं। यूनिवर्सिटी की भरमार होने की वजह से यह शहर हमेशा से युवाओं का पसंदीदा रहा है। फिर कज़ान में नाइट लाइफ़ भी हमेशा गुलज़ार रहती है। कई बार, नाइट क्लब और पब देर रात तक खुले रहते हैं।
यहां का आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बढ़िया है, जो बड़े आयोजनों के मानकों पर खरा उतरता है। चाहे ट्रांसपोर्टेशन हो या आयोजन स्थल और हाई क्लास होटल। यहां सिर्फ़ एक मेट्रो लाइन है, जिसमें सिर्फ़ 10 स्टॉप हैं। मेट्रो के एक छोर से दूसरे छोर तक का सफ़र सिर्फ़ 15 मिनट में पूरा हो जाता है। यह इसे दुनिया के सबसे छोटे मेट्रो रूट में से एक बनाता है। वर्ष 2005 में निर्मित कज़ान के मेट्रो स्टेशनों का डिज़ाइन बेहद आकर्षक है और दुनिया भर से आने वाले पर्यटक इसे देखने ज़रूर आते हैं। यहाँ रूसी, तातार और अंग्रेज़ी भाषा में घोषणाएँ की जाती हैं।
कज़ान में स्थित किला यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। यह आज भी रूस में तातार साम्राज्य की एकमात्र पहचान के रूप में मौजूद है। कज़ान के किले को इसकी चमत्कारी सफ़ेद दीवारों के कारण विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस किले का कुछ हिस्सा 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। ऐसे में कज़ान आने वाले लोग इस किले को देखना नहीं भूलते। वोल्गा और कज़ांका नदियों के संगम पर स्थित कज़ान में कई जगहों से शहर के खूबसूरत नज़ारे दिखते हैं।
कज़ान यूरोप की सबसे बड़ी मस्जिद का घर है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। हालाँकि, वर्ष 1552 में इसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया था…
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