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अमेरिकी चुनाव में क्या हैं रेड, ब्लू, पर्पल स्टेट्स, बैंगनी पर ही क्यों मचा घमासान?

नई दिल्ली: अमेरिकी राजनीति में रंगों का विशेष महत्व है. बता दें देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टिया रंगों को दर्शाता है. नीला रंग डेमोक्रेटिक पार्टी को दर्शाता है तो लाल रंग रिपब्लिकन पार्टी को दर्शाता है. परंतु अमेरिकी राजनीति में पर्पल रंग का भी अपना महत्व है. अमेरिका में 50 राज्य हैं और ये राज्य तीन […]

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Donal trump
  • November 5, 2024 12:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: अमेरिकी राजनीति में रंगों का विशेष महत्व है. बता दें देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टिया रंगों को दर्शाता है. नीला रंग डेमोक्रेटिक पार्टी को दर्शाता है तो लाल रंग रिपब्लिकन पार्टी को दर्शाता है. परंतु अमेरिकी राजनीति में पर्पल रंग का भी अपना महत्व है. अमेरिका में 50 राज्य हैं और ये राज्य तीन रंगों में बंटे हुए है. इन राज्यों को ब्लू स्टेट्स,रेड स्टेट्स, और पर्पल स्टेट्स के नाम से जाना जाता है. जैसा कि नाम से ही साफ होता है कि रेड स्टेट्स ऐसे राज्य जहां पर रिपब्लिकन पार्टी का वर्चस्व है. 1980 से इन राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी जीतती आई है. बता दें रिपब्लिकन पार्टी का झंडा लाल रंग का है. वहीं ब्लू स्टेट्स ऐसे राज्य हैं, जहां डेमोक्रेट्स पार्टी का बोलबाला है.1992 से डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जीतते रहे हैं. तीसरा पर्पल स्टेट्स हैं. इसे स्विंग स्टेट्स कहा जाता है.

पर्पल यानी स्विंग स्टेट्स

स्विंग स्टेट्स ऐसे राज्य है जहां न तो रिपब्लिकन पार्टी का न तो डेमोक्रेटिक पार्टी का बोलबाला है. यहां के चुनावी नतीजे हमेशा हैरान करने वाला होता है. यहां चुनावों में दोनों पार्टियों के बीच कांटे का मुकाबला रहता है.और चुनाव में यहां से कौन जीतेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. इन राज्यों में जीत से ही व्हाइट हाउस का रास्ता तय होता है. चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों का फोकस इन्हीं राज्यों पर ज्यादा है. लेकिन स्विंग स्टेट्स को पर्पल स्टेट का रंग इसलिए दिया गया है. क्योंकि लाल रंग और ब्लू रंग को मिलाकर पर्पल रंग बनता है.

स्विंग स्टेट्स में किसका पलड़ा भारी

ताजा सर्वे में अमेरिका के इन सात स्विंग स्टेट्स में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे का मुकाबला दिख रहा है. मगर पेंसिल्वेनिया, जॉर्जिया और एरिजोना में ट्रंप को मामूली बढ़त मिल रहा है. वहीं मिशिगन, विस्कॉन्सिन और नेवादा में कमला हैरिस को मामूली बढ़त मिलते दिख रहा है. तो ऐसे में मुकाबला कांटे का है.

इलेक्टोरल कॉलेज

इलेक्टोरल कॉलेज को आसान भाषा में समझे तो आम जनता राष्ट्रपति चुनाव में ऐसे लोग को वोट देते है. जो इलेक्टोरल कॉलेज बनाते हैं और उनका काम देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करना होता है. नवंबर के पहले सप्ताह में वोंटिग उन मतदाताओं के लिए होती है. जो राष्ट्रपति का का चुनाव करती है. यह इलेक्टर्स निर्वाचित होने के बाद दिसंबर महीने में अपने-अपने राज्य में एक जगह इकट्ठा होते हैं और राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट करते हैं.

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