Ukraine-Russia Conflict : ‘हम रूस के लिये डिजिटल ब्लॉकेड खड़ा करना चाहते हैं’ – उप-प्रधानमंत्री यूक्रेन

Ukraine-Russia Conflict  नई दिल्ली, Ukraine-Russia Conflict  रूस और यूक्रेन के बीच खेला जा रहा युद्ध न केवल मैदानी या सरहदों वाला है बल्कि ये युद्ध साइबर भी है. यानि सबकुछ ऑनलाइन करना. रूस-यूक्रेन के इस युद्ध में अब यूक्रेन अपनी साइबर आर्मी तैयार करना शुरू कर रहा है. बन रही है साइबर सेना यानि IT […]

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Ukraine-Russia Conflict : ‘हम रूस के लिये डिजिटल ब्लॉकेड खड़ा करना चाहते हैं’ – उप-प्रधानमंत्री यूक्रेन

Riya Kumari

  • March 13, 2022 4:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Ukraine-Russia Conflict 

नई दिल्ली, Ukraine-Russia Conflict  रूस और यूक्रेन के बीच खेला जा रहा युद्ध न केवल मैदानी या सरहदों वाला है बल्कि ये युद्ध साइबर भी है. यानि सबकुछ ऑनलाइन करना. रूस-यूक्रेन के इस युद्ध में अब यूक्रेन अपनी साइबर आर्मी तैयार करना शुरू कर रहा है.

बन रही है साइबर सेना यानि IT आर्मी

यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन मिनिस्टर मिखाइलो फेडोरोव (Mykhailo Fedorov) अपने सोशल मीडिया से डिजिटल इस युद्ध को लड़ने का ऐलान कर दिया है. पिछले दिनों उन्होंने ट्विटर पर अपने आधिकारिक अकाउंट से एक ट्वीट के ज़रिये इसकी जानकारी देते हुए लिखा, हम यूक्रेन की डिजिटल आर्मी बनाने की तैयारी कर रहे हैं. हमें टैलेंट की ज़रुरत है. इस आर्मी में भर्ती होने वाले सभी जवानों को काम टेलीग्राम से दिए जाएंगे. इसमें हर किसी के लिए काम होंगे हम लगातार रूस के खिलाफ काम करते रहेंगे.

ये होंगे काम

गिजमोडो की रिपोर्ट्स की मानें तो साइबर सेना का सबसे पहला काम होता है डिनायल ऑफ सर्विस (DDOS) को लागू करना इससे रूस के 31 टार्गेट्स को बर्बाद किया जा सकेगा. इनमें सरकारी संस्थान, सरकारी बैंक और भी कई सरे सरकारी संस्थान शामिल है. जिन्हें इस सम्बन्ध में काम जानकारी होगी वो यूट्यूब पर काम करेंगे. इस दौरान वह युद्ध को लेकर गलत सूचनाओं को फ़ैलाने वाले वीडियोज़ को हटाने का प्रयत्न करेंगे.

रूस पर हुआ भाई साइबर हमला

बताते चलें कि अब तक इस बात की कोई जानकारी नहीं हैं कि रूस पर हुआ साइबर हमला यूक्रेन के ही साइबर सेल ने करवाया था या नहीं. बता दें की पिछले दिनों Annonymous नाम के एक हैकर ने रूस के साइबर सेल को हैक कर उनकी हालत ख़राब कर दी थी. इस दौरान रूस में कई मीडिया संस्थानों में युद्ध के खिलाफ खबरें डिस्पले होने लगी थी.

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