नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच बीते 8 महीनों से जंग चल रही है, उम्मीद थी कि ये जंग खत्म हो जाएगी लेकिन समय के साथ इस जंग ने और आक्रामक रुख अपना लिया है. रविवार को यूक्रेन की ओर से क्रीमिया को जोड़ने वाले एक बड़े पुल को हमला कर उड़ा दिया गया […]
नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के बीच बीते 8 महीनों से जंग चल रही है, उम्मीद थी कि ये जंग खत्म हो जाएगी लेकिन समय के साथ इस जंग ने और आक्रामक रुख अपना लिया है. रविवार को यूक्रेन की ओर से क्रीमिया को जोड़ने वाले एक बड़े पुल को हमला कर उड़ा दिया गया था, इस हमले को रूस ने आतंकी हरकत बताया था और यूक्रेन को धमकी दी थी कि उसे इसके बुरे अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं. इसके बाद रूस ने सीधे यूक्रेन की राजधानी कीव समेत लावरोव, खारकीव जैसे शहरों पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया. रूस की ओर से 75 मिसाइलें दागी गई हैं और यूक्रेन के पावर स्टेशनों को भी निशाना बनाया गया. कहा जा रहा है कि इस हमले में जेलेंस्की का दफ्तर भी तबाह हो गया है. यह हमले व्लादिमीर पुतिन के करीबी जनरल सेरगेई सुरोविकिन को यूक्रेन युद्ध का नेतृत्व सौंपे जाने के बाद ज्यादा तेज हो गए हैं.
ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर सुरोविकिन कौन हैं और जंग में अचानक पुतिन ने उन्हें क्यों ज़िम्मेदारी सौंप दी. इससे पहले शनिवार को ही व्लादिमीर पुतिन ने दो सीनियर रूसी कमांडरों को हटा दिया था और इसके पीछे कारण ये बताया था कि कई इलाकों में यूक्रेन ने आक्रामक अटैक किए हैं और रूस को बैकफुट पर आना पड़ा है. दरअसल सुरोविकिन को लेकर कहा जाता है कि वह वारफ्रंट और हवाई हमलों के बहुत तेज़ हैं, उन्हें इसमें महारत हासिल है इसीलिए व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें यह अहम जिम्मा सौंपा है. साल 1966 में साइबेरिया के नोवोसिबिर्स्क में जन्मे सुरोविकिन ने 2017 में सीरिया के मिशन पर बड़ा काम किया था, वहां उन्होंने रूसी सेना के हवाई हमलों के मिशन की जिम्मेदारी उठाई थी.
सुरोविकिन की गिनती कड़े फैसले लेने वाले मिलिट्री अफसरों में की जाती है, सुरोविकिन को दो बार जेल भी जाना पड़ा था. दरअसल, साल 1991 में उनके मातहत काम करने वाले सैनिकों ने मॉस्को की सड़कों पर प्रदर्शन करने वाले तीन लोगों को सरेआम गोली मार दी थी और उनकी मौत हो गई थी, इसके चलते उन्हें 6 महीने के लिए जेल भेज दिया गया था.
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