नई दिल्ली. रविवार को रूस में हुए चुनाव में व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर से राष्ट्रपति चुने गए. बता दें कि अब तक लगभग सभी मतपत्रों की गिनती हो चुकी है. इस दौरान पुतिन को लगभग 76% वोट मिले. रूस में ऐसा माना जाता है कि जो नेता जितने ज्यादा वोट से चुना जाता है उस नेता का कद उतना ही बढ़ता है. अब पुतिन साल 2024 तक पद पर आसीन रहेंगे. इस चुनाव में पुतिन के अलावा सात और उम्मीदवार खड़े हैं. हालांकि रविवार को अच्छा खासा मतदान दर्ज किया गया है लेकिन विपक्ष चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगा रहा है. शुरुआत के रुझानों में ही अपनी जीत पक्की कर चुके पुतिन ने रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘वोटरों ने बीते कुछ साल की उनकी उपलब्धियों पर मुहर लगाई है.’
इस चुनाव में पुतिन के मुख्य प्रतिद्वंद्वी एलेक्जई नवलनी पर कानूनी कारणों को लेकर रोक लगा दी गई थी और यही कारण है कि यह लगभग तय माना जा रहा था कि पुतिन राष्ट्रपति चुनाव जीत जाएंगे. बताते चलें कि साल 2000 में पुतिन पहली बार राष्ट्रपति चुने गए थे. रूस का संविधान राष्ट्रपति को लगातार बस दो कार्यकाल की ही इजाजत देता है. इसलिए पुतिन अपने शुरुआती दो कार्यकालों के बाद प्रधानमंत्री बन गए.
उस समय उन्होंने विपक्ष की आवाज को दबाकर और टेलीविजन पर सरकारी नियंत्रण कर विश्व में रुस के दर्जे को एक बार फिर स्थापित किया था. पुतिन ने रुस को विश्व के सबसे बड़े देश पर अपना पूरा अधिकार कायम कर रखा है. पुतिन रूस में बीते 18 सालों से से कभी राष्ट्रपति, तो कभी प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता पर काबिज हैं.
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