नई दिल्ली, दिवालिया होने की कगार पर खड़े श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने विपक्ष के दबाव में सोमवार को इस्तीफ़ा दे दिया है. पिछले हफ्ते प्रमुख विपक्षी नेता सिरिसेना ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी, जिसमें यह प्रधानमंत्री महिंदा का इस्तीफ़ा लगभग तय हो गया था. अब राजपक्षे के इस्तीफे के बाद श्रीलंका में […]
नई दिल्ली, दिवालिया होने की कगार पर खड़े श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने विपक्ष के दबाव में सोमवार को इस्तीफ़ा दे दिया है. पिछले हफ्ते प्रमुख विपक्षी नेता सिरिसेना ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी, जिसमें यह प्रधानमंत्री महिंदा का इस्तीफ़ा लगभग तय हो गया था. अब राजपक्षे के इस्तीफे के बाद श्रीलंका में अंतरिम सरकार बनेगी.
एक ओर जहाँ राजनीतिक दबाव में आकर राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दे दिया है तो वहीं दूसरी तरफ, श्रीलंका के कई हिस्सों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों की खबरें सामने आ रही हैं. श्रीलंका पर पहले ही आर्थिक संकट मंडरा रहा था, लेकिन महिंदा के इस्तीफे से अब श्रीलंका पर दोहरा खतरा आ गया है. दरअसल, राजपक्षे के बड़े भाई और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे नहीं चाहते थे कि महिंदा इस्तीफा दें, लेकिन विपक्ष की मांग के आगे उन्हें झुकना पड़ा और उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. दूसरी तरफ, उन्होंने अपने समर्थकों को सड़कों पर उतार दिया, अब राजपक्षे भाईयों के विरोधियों और समर्थकों के बीच देश के कई हिस्सों हिंसक झड़प शुरू हो गई है. इस झड़प में अब तक 78 लोगों के घायल होने की भी खबरें हैं.
देश में बिगड़ते हालातों को देखते हुए महिंदा राजपक्षे ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है. उन्होंने कहा- हिंसा केवल हिंसा को ही जन्म देती है. हम इस समय जिस आर्थिक संकट में हैं, उसके लिए हिंसा नहीं बल्कि आर्थिक समाधान की जरूरत है.
श्रीलंका में बेक़ाबू हुए आर्थिक संकट पर ठीक से काम न कर पाने की वजह से देश की जनता ने सरकार पर अपनी असहमति जताई थी. जिसके बाद देश में मौजूदा सरकार के खिलाफ भारी धरना प्रदर्शन होने लगा. कई जगहों पर इस प्रदर्शन ने तो हिंसक रूप भी लिया. इसी बीच देश के पीएम महिंदा राजपक्षे ने अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है. इसी समय पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया गया है. स्थानीय मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह इस्तीफ़ा राष्ट्रपति भवन में गोटाबाया राजपक्षे के नेतृत्व में हुई बैठक में दिया गया. बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने इस्तीफे का अनुरोध किया जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया.