दुनिया

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा- ‘चीन को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग नहीं करना चाहते’

नई दिल्ली। अमेरिका ने चीन को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका चीन को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग नहीं करना चाहता है लेकिन बीजिंग को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए। यह नए शीत युद्ध के बारे में नहीं है। यह दुनिया को कठोर वैचारिक खाकों में विभाजित करने के बारे में नहीं है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को इस तरह से पुनर्जीवित करने के बारे में है जो दशकों से शांति और समृद्धि के मूल सिद्धांतों की रक्षा करती है।

बाइडेन राज में चीन के साथ ओर बढ़ा टकराव

मालूम हो कि ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और चीन के संबंध सबसे निचले स्तर तक गिर गए थे। अब राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व में दोनों देशों के संबंधों में और खटास आ गई है। अमेरिका ने अब तक ट्रंप के समय से ही चीनी सामानों पर व्यापक टैरिफ बनाए रखा है। इतना ही नहीं, वर्तमान में अमेरिका ने चीन के बढ़ते प्रभाव को धूमिल करने के लिए हिंद-प्रशांत सहयोगियों के साथ घनिष्ठ संबंध भी बनाए हैं।

बाइडेन की कमजोर विदेश नीति

हालाँकि, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वाशिंगटन के मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन पर अपनी औपचारिक रणनीति की घोषणा नहीं करने के लिए बाइडेन आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं। उन्हें विदेश नीति पर नजर रखने वालों की आलोचना का सामना करना पड़ा है।

विदेश नीति के मुद्दों पर बाइडेन भी रिपब्लिकन के निशाने पर हैं। पिछले साल अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी और यूक्रेन पर रूसी हमले सहित विदेशी घटनाक्रम ने बाइडेन के लिए चुनौतियां पेश की हैं। बाइडेन ने चीन को वैश्विक नेता के रूप में अमेरिका से आगे निकलने की अनुमति नहीं देने की कसम खाई है। हाल ही में, अमेरिका और भारत ने कई साझेदार देशों के साथ इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) बनाने का संकल्प लिया है।

चीन ने कही ये बात

वहीं चीन ने इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) को लेकर एक बार फिर इस गठबंधन को लेकर सवाल उठाए हैं। चीन ने कहा हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कई देश चिंतित हैं कि आईपीईएफ उन्हें चीनी अर्थव्यवस्था से अलग कर देगा।

गौरतलब है कि जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड शिखर बैठक से एक दिन पहले सोमवार को अमेरिका ने आईपीईएफ का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाना और चीन के कर्ज के जाल में फंसने से बचना है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सहयोग के नाम पर यह ढांचा कुछ देशों को अलग-थलग रखने की कोशिश करता है।

यह भी पढ़ें :

बीजेपी MYY फॉर्मूला: पीएम मोदी राजस्थान बीजेपी की लगाएंगे नैया पार, चुनावों में फिर ‘MYY’ फॉर्मूला बनेगा संकटमोचन

भारत में ओमिक्रोन सबवैरिएंट BA.4 का पहला केस मिला, इन्साकाग ने की पुष्टि, जानें क्या है ये नया वैरिएंट?

Pravesh Chouhan

Recent Posts

पहले लालू-शरद-अखिलेश और अब उमर-अभिषेक… अपने ही लोगों के निशाने पर क्यों हैं राहुल गांधी?

जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस EVM के मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े…

4 hours ago

दिल्ली चुनाव: केजरीवाल को जिताने के लिए जान लगाएंगे अखिलेश, AAP-सपा का धांसू प्लान आया सामने

दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद में समाजवादी पार्टी की अच्छी खासी पकड़ है। दिल्ली…

4 hours ago

जल्द श्रीलंका दौरे पर जाएंगे PM मोदी, राष्ट्रपति दिसानायके का न्योता स्वीकारा

पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा कि श्रीलंका, भारत…

5 hours ago

बांग्लादेश के लिए कलंक है यूनुस! दिल्ली से ऐसी दहाड़ीं शेख हसीना, कांप उठा ढाका

भारत की राजधानी दिल्ली में बैठीं शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश की वर्तमान सरकार…

5 hours ago

इकरा हसन के विधायक भाई ने योगी की पुलिस को दौड़ाया, कैराना में महा-बवाल!

इस्सौपुरटिल इलाके में अवैध कब्जे को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद चल रहा था।…

5 hours ago

गावस्कर ने दिया गुरुमंत्र, सचिन ने दी सलाह, क्या अब चलेगा कोहली का बल्ला ?

क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर ने कोहली को एक अहम सलाह दी। उन्होंने कहा कि…

5 hours ago