वॉशिंगटनः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल को एक साल पूरा हो चुका है और इस एक साल में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने संबोधन में 2140 बार झूठ बोला है. अंग्रेजी वेबसाइट ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ की खबर के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले एक साल में 2140 बार झूठ अथवा गुमराह करने वाले आंकड़े अपने संबोधन में लोगों के सामने रखे. अनुमानित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप ने एक दिन में करीब 6 बार झूठ बोला है. खबर के अनुसार, उन्होंने इस खबर की शुरूआत ट्रंप प्रशासन के शुरूआती 100 दिनों की कवरेज से की थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, रीडर्स की मांग पर वह इस डेटा को आगे भी संकलित करना जारी रखेंगे. ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ के संपादकों ने बताया कि यह डेटा काफी उपयोगी साबित होगा, खासकर उन लोगों के लिए जो इस क्षेत्र से जुड़ी पढ़ाई अथवा रिसर्च कर रहे हैं. फिलहाल के लिए उन्होंने तय किया है कि ट्रंप के पूरे कार्यकाल के दौरान वह इस बात पर नजर रखेंगे कि अमेरिकी राष्ट्रपति क्या घोषणाएं कर रहे हैं, क्या दावे कर रहे हैं और क्या वह हकीकत में सही हैं?
रिपोर्ट में यह कहा गया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ट्विटर पर किए गए दावों पर खुद का श्रेय लेने के लिए जाने जाते हैं और यह दावे सरासर गलत होते हैं. कई बार उन्होंने रिपोर्टरों के सामने भी झूठे दावे किए हैं. उनके तय भाषण और इंटरव्यू भी इसी कड़ी का हिस्सा होते हैं. वह ट्विटर पर और मीडिया के सामने बगैर फैक्ट्स चेक किए बोलते हैं और उनका यही अवगुण उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाता है. यह जानते हुए भी उनके दावे में दम नहीं है, वह (ट्रंप) लगातार उस झूठे दावे को बोलने से जरा भी परहेज नहीं करते. शायद वह सोचते हैं कि बार-बार बोलने से उनका झूठ सच हो जाएगा.
आंकड़ों के अनुसार, ट्रंप के एक साल के कार्यकाल में 56 दिन यानी कुल कार्यकाल का करीब 15 प्रतिशत समय ऐसा भी हैं, जिसमें उन्होंने कोई दावा नहीं किया. वहीं 12 दिनों में ट्रंप ने 30 से ज्यादा दावे भी किए हैं. 25 जुलाई को ओहियो स्थित एक रैली में ट्रंप ने 52 दावे, 29 नवंबर को सेंट लुइस में 49 दावे और 8 दिसंबर को पेंसाकोला में उन्होंने 44 दावों पर श्रेय लेने की कोशिश की. ट्रंप ने कुर्सी संभालने से पहले उन कार्यों (कारोबार, रोजगार क्षेत्र आदि में बेहतर ग्रोथ) का श्रेय लेने की भी कोशिश की जो अमेरिका की पिछली सरकार अपने कार्यकाल में करके गई थी. इस पर उनकी काफी आलोचना भी हुई, हालांकि ट्रंप पर इसका कोई असर नहीं पड़ा.
ट्रंप अपने भाषणों में इस बात का भी खूब जोरों-शोरों से प्रचार करते हैं कि उनके शासन में अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ी टैक्स में कटौती की गई है, हालांकि कोषागार विभाग के आंकड़े इसे 8वें पायदान पर ठहराते हैं. यूएस द्वारा सबसे ज्यादा कॉरपोरेट टैक्स देने वाले उनके बयान पर भी विरोधाभास है. ट्रंप ने कारोबारी घाटे और कारोबारी पॉलिसी पर भी सही आंकड़े नहीं दिए हैं.
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