नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप बंपर वोट लेकर वापस लौटे हैं. रिपब्लिकन ट्रंप अपने अंदाज में राजनीति करते हैं और जो कहना होता है कह देते हैं. सवाल पूछे जा रहे हैं कि ट्रंप के आने से वैश्विक परिदृश्य में क्या बदलाव आएगा. दो युद्ध रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा का जो चल रहा है वो तेज होगा या थमेगा. ऐसे ही बांग्लादेश में जो तख्तापलट हुआ था और शेख हसीना भागकर भारत आईं थीं वो वापस जाकर सत्ता संभालेंगी क्या?
दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका में जब भी राष्ट्रपति का चुनाव होता है तो पूरे संसार की नजर उस पर रहती है. वहां पर दो दल हैं रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी. 2020 के चुनाव में डेमोक्रेट जो बाइडन ने रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप को पटकनी देकर सत्ता संभाली थी. तब ट्रंप ने चुनाव में धांधलेबाजी का आरोप लगाया था और कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं थे. किसी तरह उन्होंन सत्ता तो छोड़ दी लेकिन उसके बाद से ही अगले चुनाव की तैयारियों में जुट गये थे. अन्तत: वह दोबारा जीत हासिल करने में कामयाब हो गये हैं. ट्रंप जुझारू और मुंहफट नेता हैं. अपने अंदाज में काम करते हैं.
दुनिया में इस समय दो युद्ध चल रहे हैं मुस्लिमों ने उनका समर्थन किया है लिहाजा मुस्लिम देश आस लगाये बैठे हैं कि इजरायल से बात कर वह युद्ध को खत्म कराएंगे. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अभी उन्हें बधाई नहीं भेजी है और वह हवा का रुख देखना चाहते हैं. आपको बता दें कि अपने पहले कार्यकाल में रूस से बड़ा दुश्मन चीन को मानते थे इसलिए दोनों युद्ध को वह खत्म कराने के लिए कदम उठा सकते हैं.
हाल ही बांग्लादेश में तख्ता पलट हुआ था जहां से तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को जान बचाकर भागना पड़ा था. फिलहाल वह भारत में भारी सुरक्षा घेरे में रह रही हैं. मोहम्मद यूनुस वहां पर अंतरिम सरकार की कमान संभाल रहे हैं. ट्रंप से उनका 36 का रिश्ता रहा है, यूनुस ने 2016 में ट्रंप की जीत को सूर्यग्रहण और काले दिन की तरह बताया था. उस चुनाव में ट्रंप ने डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन को हराया था जिससे युनूस की नजदीकी थी और उन्होंने क्लिंटन फाउंडेशन को चंदा दिया था. इसके बदले हिलेरी ने उनसे मुलाकात की थी.
ट्रंप किसी बात को भूलते नहीं हैं लिहाजा जब बांग्लादेश का प्रतिनिधिमंडल ट्रंप से मिलने गया तो उन्होंने पूछा था कहां हैं ढाका का माइक्रो फाइनेंसर. सुना है वो मुझे हारते हुए देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने डोनेशन भी दिया. तब यूनुस बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के प्रमुख थे. ये बैंक बांग्लादेश में माइक्रो फाइनेंसिंग स्पेशलाइज्ड कम्युनिटी बैंक है. बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद उन्होंने सत्ता संभाली और 25 सितंबर को क्लिंटन इनशिएटिव कार्यक्रम में शिरकत की थी. जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी मौजूद थे.
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि यूनुस को सत्ता पर काबिज कराने में बाइडन प्रशासन की अहम भूमिका थी. शेख हसीना ने एक द्वीप को देने को लेकर जिस ह्वाइट मैन की चर्चा की थी वह इशारा बाइडन की तरफ ही था. ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने बधाई भेजी है. आवामी लीग ने पोस्ट के साथ ट्रंप और शेख हसीना की तस्वीर भी शेयर की है. उम्मीद जताई है कि ट्रंप के आने से बांग्लादेश और अमेरिका के संबंध और मजबूत होंगे. ऐसे में ये सवाल स्वभाविक है कि क्या ट्रंप यूनुस से बदला लेंगे और शेख हसीना को फिर से सत्ता में स्थापित कराएंगे.
दरअसल अमेरिका ट्रंप प्रशासन में भारतीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए दक्षिण एशिया को एक यूनिट के तौर पर देखता था, लेकिन बाइडन ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र यूनिट के तौर पर देखा. इसका नतीजा ये हुआ कि बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया. बंग्लादेश में चुनी हुई सरकार कब आएगी, चुनाव कब होगा कुछ भी स्पष्ट नहीं है लेकिन एक बात तय है कि ट्रंप भारतीय पीएम मोदी को अपना दोस्त और युनूस को विरोधी मानते हैं. भारत चाहेगा कि बांग्लादेश में चुनी हुई सरकार जल्दी आए और शेख हसीना की वापसी हो. ये जरूरी नहीं कि शेख हसीना ही फिर से पीएम बनें लेकिन चुनाव में उनकी पार्टी सत्ता में आ सकती है. ऐसे में भला शेख हसीना खुश क्यों न हों.
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