डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले ही महाशक्ति बनने को आतुर चीन अमेरिका को आंख दिखाने लगा है. ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने वाले बयान से ड्रैगन इतना चिढ़ गया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ट्रंप के शपथ ग्रहण में शिरकत करने के मूड में नहीं हैं. ताइवान के आसपास चीन के विमान मंडराते हुए जंग का संदेश अलग दे रहे हैं.
नई दिल्ली. अमेरिका ने नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शपथ से पहले ही उनकी चीन से तनातनी शुरू हो गई है. ट्रंप ने जीत के कुछ दिनों बाद ही टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दी थी जिसको लेकर चीन चिढ़ गया है. खबर आ रही है कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में चीनी राष्ट्रपित शी जिनपिंग नहीं जाएंगे. बात सिर्फ टैरिफ तक ही नहीं है. ट्रंप ने चीन से साफ कर दिया है कि 19 जनवरी तक चीनी कंपनी बाइटडांस को बेच दिया जाए या इस ऐप पर प्रतिबंध के लिए चीन तैयार रहे.
अमेरिका का नवनिर्वाचत राष्ट्रपति शी जिनपिंग का शपथ ग्रहण 20 जनवरी को होगा जिसके लिए तैयारियां शुरू हो गई है. आमंत्रित देशों में चीन भी शामिल है लेकिन ट्रंप द्वारा चीन के माल पर टैरिफ लगाने की धमकी के बाद शुरू हुई तनातनी कई अन्य मुद्दों को लेकर बढ़ गई है. बेशक साथ में ट्रंप यह भी दावा कर रहे हैं कि चीन के साथ उनके अच्छे संबंध हैं और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी बातचीत होती रहती है लेकिन जहां राष्ट्र हित की बात आती है दोनों की भौंहे तन जाती है.
तनातनी के मूल में इंटरनेट कंपनी बाइटडांस भी है. अमेरिका कह चुका है कि या तो कंपनी अपना ऐप बेचे या 19 जनवरी से पहले अपना बोरिया-विस्तर समेटे. खबर आ रही है कि इस तनातनी की वजह से शी जिनपिंग ट्रंप के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होंगे. संदेश देने का चीन का अपना अंदाज है और उसी हिसाब से जिनपिंग काम कर रहे हैं. जिन अन्य मुद्दों पर अमेरिका और चीन के हित टकरा रहे हैं उसमें चीन की तरफ से हैकिंग के प्रयास भी है. अमेरिकी एजेंसियों ने आरोप लगाया था कि चीन ने टेलीकॉम कंपनियों को हैक करने का प्रयास किया था. नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस व नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के फोन हैकिंग की भी कोशिश हुई थी.
दोनों देशों में तनातनी का एक जड़ ताइवान भी है. चीन उसे वन चाइना का हिस्सा मानता है जबकि ताइवाऩ अपने को अलग देश बताता है. ताइवान, चीन की कमजोर नस है इसलिए अमेरिका उसको दबाकर बैठा है. पिछले कई दिनों से चीन के लड़ाकू विमान ताइवान की सीमाओं पर मंडरा रहे हैं जिसको लेकर ताइवान ने वीडियो और फोटो जारी किये हैं. चीन कह रहा है कि ताइवान को हम लेकर रहेंगे जबकि ताइवान का कहना है कि वह किसी भी परिस्थिति से निपटने को तैयार है. अमेरिका, ताइवान के साथ खड़ा है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि रूस-यूक्रेन, इजरायल-गाजा व सीरिया के बाद क्या ताइवान भी युद्ध का मैदान बनेगा या चीन गीदड़भभकी दे रहा है?
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