नई दिल्ली, रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव अब थमने का नाम ही नहीं ले रहा है, संयुक्त राष्ट्र में भी इस मामले को लेकर कई बार वोटिंग हो चुकी है, लेकिन भारत ने हमेशा ही वोटिंग में अपना रुख तठस्त रखा है. भारत ने रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग […]
नई दिल्ली, रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव अब थमने का नाम ही नहीं ले रहा है, संयुक्त राष्ट्र में भी इस मामले को लेकर कई बार वोटिंग हो चुकी है, लेकिन भारत ने हमेशा ही वोटिंग में अपना रुख तठस्त रखा है. भारत ने रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इस बार यूएन में भारत की गुट निरपेक्षता की बड़ी परीक्षा होने वाली है. गुरुवार को यूएन जनरल असेंबली के विशेष सत्र में इस बात पर वोटिंग होनी है कि क्या संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस की सदस्य्ता खत्म कर देनी चाहिए.
अब तक भारत यूएन के इन प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान दूरी बनाता रहा है, भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय समझौतों पर इस बार बहुत ही कड़ी परीक्षा होने वाली है. वहीं, इस बार अगर भारत यूएन में वोट नहीं करता है तब भी ये बात पश्चिमी देशों के पक्ष में ही जाएगी.
दरअसल, इस बार वोटिंग में उन देशों की गिनती की नहीं जाएगी तो वोट नहीं करेंगे, यानि जो देश वोट करेंगे उनमें दो तिहाई बहुमत वाले फैसले को ही स्वीकार किया जाएगा. यूएन में रूस के प्रतिनिधि ने इस बात की चेतावनी भी दे डाली है कि अगर कोई देश यूएन में वोटिंग से दूरी बनाता है तो उसे भी विरोधी ही माना जाएगा.
जानकारी के मुताबिक इस प्रस्ताव पर यूएन में मुहर भी लगनी लगभग तय है, 2006 के रेजोलूशन के मुताबिक अगर कोई देश मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है तो उसकी सदस्यता यूएनएचसी में समाप्त कर दी जाएगी, ऐसे में भारत की अग्निपरीक्षा होने वाली है क्योंकि अगर भारत इस प्रस्ताव का समर्थन करता है तो रूस और भारत के संबंधों में खटास पड़ जाएगी. इस प्रस्ताव को पेश करने वाले लिथुआनिया ने कहा कि गुरुवार को यूएन में वोटिंग होने वाली है.