नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा है—इस बार अपने ‘गोल्ड कार्ड’ के जरिए। एयरफोर्स वन से उड़ान भरते समय ट्रंप ने मीडिया के सामने यह 5 मिलियन डॉलर (करीब 43 करोड़ रुपये) का खास कार्ड दिखाया, जिसे उन्होंने पिछले महीने लॉन्च करने की घोषणा की थी। यह गोल्ड कार्ड, अमेरिका के पारंपरिक ग्रीन कार्ड का प्रीमियम वर्जन है। खास बात यह है कि यह स्कीम उन करोड़पति अप्रवासियों के लिए है, जो अमेरिका में स्थायी रूप से रहना चाहते हैं।
क्या है गोल्ड कार्ड स्कीम?
ट्रंप के मुताबिक, यह कार्ड नागरिकता की फास्ट ट्रैक एंट्री है। ट्रंप ने स्पष्ट किया, “हम गोल्ड कार्ड बेचने जा रहे हैं जिसकी कीमत 5 मिलियन डॉलर होगी। इसके जरिए अप्रवासी अमेरिका में रह सकते हैं, काम कर सकते हैं और नागरिकता की ओर तेजी से बढ़ सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “जो लोग यह कार्ड खरीदेंगे वे अमीर और सफल होंगे, वे यहां टैक्स भरेंगे और लोगों को रोजगार देंगे।”
EB-5 वीज़ा की जगह ले सकता है
गोल्ड कार्ड को ट्रंप की पार्टी का नया विजन बताया जा रहा है। जो कि पुराने EB-5 वीजा प्रोग्राम का विकल्प बन सकता है। EB-5 प्रोग्राम के तहत अप्रवासी निवेशक को कम से कम 1 मिलियन डॉलर (या कुछ मामलों में $800,000) का निवेश करना होता था और कम से कम 10 नौकरियां पैदा करनी होती थीं।
अब पैसा ही बनेगा पासपोर्ट!
ट्रंप की इस योजना को दुनिया भर के अमीरों से रिस्पॉन्स मिलने की उम्मीद है। गोल्ड कार्ड न केवल स्थायी निवास की अनुमति देता है, बल्कि अमेरिकी नागरिकता तक पहुंचने का रास्ता भी बेहद आसान बना देता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप की यह गोल्डन स्कीम अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी को किस तरह प्रभावित करती है और क्या यह उन्हें अगली बार व्हाइट हाउस तक वापस पहुंचाने में मदद कर सकती है।
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