नई दिल्ली: इराक में विवाह कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव एक बार फिर से संसद में पेश किया गया है, जिसमें पुरुषों को 9 साल की उम्र की लड़कियों से शादी की अनुमति देने की बात कही गई है। इस प्रस्ताव ने देश में महिलाओं और बाल अधिकार संगठनों के बीच नाराजगी और विरोध को जन्म दिया है। वहीं अगर यह प्रस्ताव पारित होता है, तो देश में विवाह की आयु को घटकर केवल 9 वर्ष हो जाएगी। इससे बालिकाओं के अधिकार और उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.
इराक में विवाह कानूनों में यह संशोधन कानून 188 के तहत किया जाएगा, जिसे 1959 में लागू किया गया था। यह कानून पश्चिम एशिया के सबसे प्रगतिशील विवाह कानूनों में गिना जाता है। अब शिया दलों के गठबंधन वाली सरकार इसे शरिया कानून के अनुसार संशोधित करना चाहती है. इसके पीछे उनका तर्क है कि यह प्रस्ताव कम उम्र की लड़कियों की सुरक्षा के लिए है। हालांकि कई महिला संगठनों का कहना है कि इस कानून से कम उम्र की लड़कियों की सुरक्षा नहीं, बल्कि उनकी स्वतंत्रता और अधिकारों पर प्रतिबंध लगेगा।
इस संशोधन का विरोध कर रहे महिला समूहों का कहना है कि अगर यह कानून पारित होता है, तो लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र में कमी के साथ-साथ महिलाओं के तलाक, बच्चों की कस्टडी और संपत्ति के अधिकार भी सीमित हो जाएंगे। इराकी महिला संगठनों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ लगातार आवाज उठाई है, लेकिन सरकार अपनी नीति को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं.
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, इराक में पहले से ही बाल विवाह की दर काफी अधिक है. बता दें 28 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले हो जाती है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी इस कानून के खिलाफ चेतावनी दी है कि इससे युवा लड़कियों पर यौन और शारीरिक हिंसा का खतरा बढ़ जाएगा। इसके साथ ये कानून उन्हें शिक्षा और रोजगार के अवसरों से भी वंचित कर देगा। हालांकि इराकी महिलाओं और बाल अधिकार संगठनों ने सरकार से इस प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है।
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