प्रशांत महासागर के बीचों-बीच बसा छोटा देश तुवालु अब अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। बढ़ते समुद्री जलस्तर के चलते यह देश
नई दिल्ली: प्रशांत महासागर के बीचों-बीच बसा छोटा देश तुवालु अब अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। बढ़ते समुद्री जलस्तर के चलते यह देश डूबने की कगार पर है। यहां के लोग अब बच्चे पैदा करने से भी डरने लगे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि जब तक उनके बच्चे बड़े होंगे, तब तक उनका देश शायद समुद्र में समा जाएगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, तुवालु के लोग अब परिवार बसाने से परहेज कर रहे हैं। फुकानोई लाफाई जैसे लोग बच्चे चाहते हैं, लेकिन समुद्र के बढ़ते जलस्तर और भविष्य की अनिश्चितता के कारण इस फैसले से डर रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले कुछ दशकों में तुवालु का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब सकता है।
तुवालु की ऊंचाई समुद्र तल से केवल 2 मीटर यानी 6.56 फीट है। पिछले 30 वर्षों में समुद्री स्तर में 15 सेमी की वृद्धि हो चुकी है, जो वैश्विक औसत से डेढ़ गुना ज्यादा है। नासा के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक तुवालु का आधा हिस्सा रोज़ाना आने वाले ज्वार-भाटा के चलते जलमग्न हो जाएगा।
तुवालु में अब खेती भी मुश्किल हो गई है। यहां के लोग सब्जियां उगाने के लिए ऊंचाई पर बने बगीचों और रेनवाटर टैंक पर निर्भर हैं, क्योंकि समुद्र के खारे पानी की बाढ़ ने जमीन को बर्बाद कर दिया है। तुवालु के लोगों के लिए भविष्य अनिश्चित है, और यही कारण है कि यहां जनसंख्या में वृद्धि रुक गई है।
2023 में तुवालु ने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक ऐतिहासिक जलवायु और सुरक्षा संधि की घोषणा की थी। इसके तहत, 2024 से हर साल तुवालु के 280 नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में बसने की अनुमति दी जाएगी, ताकि तुवालु के लोग सुरक्षित जीवन जी सकें।
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