नई दिल्ली: भारतीय चावल की दुनियाभर में डिमांड है, लेकिन पोषण के मामले में बेहद खास हैं. इन चावल की किस्मों को भारत सरकार से जीआई टैग दिया हुआ है। भारत एक प्रमुख कृषि प्रधान देश है और यहां की आबादी करीब 60 फीसदी अपनी आजीविका के खेती पर निर्भर है. गेहूं और चावल भारत […]
नई दिल्ली: भारतीय चावल की दुनियाभर में डिमांड है, लेकिन पोषण के मामले में बेहद खास हैं. इन चावल की किस्मों को भारत सरकार से जीआई टैग दिया हुआ है।
भारत एक प्रमुख कृषि प्रधान देश है और यहां की आबादी करीब 60 फीसदी अपनी आजीविका के खेती पर निर्भर है. गेहूं और चावल भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसलें हैं. यहां की मिट्टी से उपजाऊ होने वाला चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में खूब बिकता है. चावल की अधिकतर सुगंधित और बासमती किस्में भारत में ही केवल उगाई जाती है. यहां की मिट्टी से उपजाऊ चावल में काफी स्वाद रहता है. चावल की इन किस्मों को भारत सरकार ने जीआई टैग लगा दिया है। आज हम आपको चावल की इन्हीं खास किस्मों के बारे में जानकारी देंगे।
चावल की एक विशेष प्रकार की सुगंध की रानी जो एक बासमती चावल है. हिमालय की गोद में इसकी खेती की जाती है. सुगंधि की रानी चावल अपनी विशेष महक को लेकर प्रसिद्ध है. असली बासमती की पहचान लंबे और पतले दाने से होते हैं. साधारण चावल की तुलना में सुगंध की रानी चावल का साइज दो गुना होता है. वहीं पकाने के बाद तो यह चावल नरम और स्वादिष्ट होता है।
गंधकसाल चावल केरल के वायनाड में अधिकतर पैदा होता है. यह भी सुगंधित चावल की एक खास हिस्सा है. इस चावल के दाने दूसरी चावल की तुलना में काफी छोटे होते हैं. इस चावल को उगाने का तरीका भी अलग होता है. गंधकसाल चावल की खेती वायनाड में बड़े पैमाने पर की जाती है।
गोविंद भोग चावल की खेती पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक होती है. यह खरीफ सीजन में देश के ऊपरी हिस्सों में उगाया जा सकता है. इस देसी चावल की खेती करने के लिए निचले इलाकों में मिट्टी सही नहीं है. गोबिंद भोग के पौधे काफी लंबे होते हैं. इस चावल की विशिष्टताओं के लिए भारत सरकार ने जीआई टैग भी दिया है।
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