Iran Israel War: 14 अप्रैल को देर रात ईरान की सेना ने इजराइल पर करीब 300 ड्रोन और मिसाइल से हमला किया। ये हमले मुख्य रूप से यरूशलेम, नेगेव रेगिस्तान, डेड सी, इजराइली कब्जे वाले गोलन हाइट्स और वेस्ट बैंक पर हुए। इजराइली टीवी समाचार के मुताबिक ईरान ने लगभग 400-500 मिसाइलें और ड्रोन लॉन्च किए। इसमें से अमेरिकी सेना ने कुछ ड्रोन मार गिराए तो वहीं इजराइल के आयरन डोम ने कुछ मिसाइलों को रोका।
मालूम हो कि ईरान और इजराइल (Iran-Israel) के बीच लंबे समय से तल्खी है लेकिन 1 अप्रैल को इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थित ईरानी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। इस हमले में ईरान के टॉप 7 मिलिट्री कमांडर मारे गए थे। ईरान में ऐलान किया था कि वो इस हमले का बदला लेगा। शुरुआत में छिटपुट हमले के बाद अब डायरेक्ट अटैक किया है। हमले में 12 लोग घायल बताए जा रहे हैं।
अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो ईरान इजरायल को किस हद तक टक्कर दे सकता है? दोनों देशों के पास कितने सैनिक हैं? ईरान के पास कौन-कौन से हथियार हैं? ईरानी सेना की कमजोरी और ऐसी परिस्थितियों में अमेरिका की परेशानी क्या है?
इजरायल के पास 6 लाख 70 हजार सैनिक हैं जबकि ईरान के पास 11 लाख 80 हजार। ईरान दुनिया की 14वीं सबसे बड़ी मिलिट्री ताकत वाला मुल्क है जबकि इजरायल 17वें स्थान पर है। हालांकि दोनों देशों की जनसंख्या में फर्क है। इजरायल की आबादी कुल 9,043,900 है, जिसमें से 170,000 एक्टिव सैनिक हैं और 465,000 आरक्षित सैनिक। वहीं ईरान की आबादी 79,050,000 है, जिसमें से 6,10,000 सक्रिय सैनिक है और 3,50,000 आरक्षित। मिडिल ईस्ट में ईरान सबसे ज्यादा ताकतवर है।
ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में तैनात क्वाड्स फोर्स काफी खतरनाक है। इस यूनिट के सैनिक अत्याधुनिक हथियार को चलाने में माहिर है। हाईली ट्रेंड ये सैनिक मध्य-पूर्व के देशों के चरमपंथी गुटों को अक्सर सहायता पहुंचाते रहे हैं। इन्होंने लेबनान के हिजबुल्ला के साथ-साथ यमन,सीरिया, ईराक फिलिस्तीन, और गाजा के चरमपंथी को सैन्य मदद पहुंचाई है।
ईरान के पास कई खतरनाक हथियार उपलब्ध है। अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के अनुसार पूरे मिडिल-ईस्ट में ईरान के पास सबसे ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइले हैं। ये मिसाइलें 17,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 2500 किलोमीटर तक जा सकती है। आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के मुताबिक ईरान के पास दर्जनों शॉर्ट और मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलें भी है, जो युद्ध के समय में अहम भूमिका निभा सकती है।
इसके अतिरिक्त पिछले साल जून में ईरान ने देश की पहली स्वदेशी हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल को सामने रखा था। इस मिसाइल की आवाज साउंड की स्पीड से 5 गुना तेजी से चलती है। इस वजह से इसको मार गिराना काफी मुश्किल भरा काम है। ईरान के पास परमाणु क्षमता से लैस केएच-55 जैसी क्रूज मिसाइलें भी है। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को ये भी आशंका है कि ईरान ने परमाणु हथियार भी डेवलप कर रखा है। हालांकि इसे लेकर ईरान ने खुलकर कभी स्पष्ट नहीं किया है।
ईरान द्वारा हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोशल मीडिया X पर लिखा है कि ईरान से खतरों के खिलाफ हम इजराइल की मदद करते रहेंगे। लेकिन कहा जा रहा है कि नेतन्याहू से फोन पर बात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि इजराइल ईरान पर फिलहाल कोई भी जवाबी हमला न करे। बता दें कि मिडिल ईस्ट के 8 देशों में अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। अगर युद्ध की स्थिति बनती है तो मामला बढ़ सकता है।
ईरान के पास भले ही पूरे मिडिल ईस्ट की सबसे बड़ी सैन्य ताकत है लेकिन उसके हथियार पुराने हो चुके हैं। वहीं अमेरिका, इजराइल समेत दूसरे यूरोपीय देशों के हथियार आधुनिक सुविधाओं से लैस है। इन देशों की सैनिकों के तरह ईरान के सैनिक उतने दक्ष भी नहीं है। ईरानी सेना का एयरफोर्स उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बनकर सामने आता है। इजराइल के सामने ईरान का एयरफोर्स ज्यादा देर नहीं टिक पाएगा। दरअसल ईरान के ज्यादातर एयरक्राफ्ट 1941 से 1979 के समय के हैं, जो अब सही से चलते भी नहीं है। ईरान के पास मौजूद टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां भी काफी पुरानी हो चुकी है।
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