नई दिल्ली: समलैंगिंक शादियों के मसले पर कैथोलिच चर्च के नजरिए में काफी बदलाव आया है. पहले चर्च ऐसी शादी पर सख्त ऐतराज करता था लेकिन अब इसको लेकर कुछ नरमी बरती जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पोप फ्रांसिस ने इस मसले पर अपना सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि कैथोलिक पादरी अब […]
नई दिल्ली: समलैंगिंक शादियों के मसले पर कैथोलिच चर्च के नजरिए में काफी बदलाव आया है. पहले चर्च ऐसी शादी पर सख्त ऐतराज करता था लेकिन अब इसको लेकर कुछ नरमी बरती जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पोप फ्रांसिस ने इस मसले पर अपना सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि कैथोलिक पादरी अब समलैंगिंक शादियों को अपना आशीर्वाद दे सकते हैं. हालांकि उन्होंने इसके पीछे कुछ शर्त भी रखी है. उन्होंने कहा कि केस टू केस के आधार पर इसका निर्धारण किया जाएगा. इसका सामान्य अर्थ यह है कि आम तौर पर गे शादियों को ब्लेसिंग नहीं मिलेगी.
पोप फ्रांसिस के इस सुझाव पर रूढ़िवादी विचार रखने वाले पांच पादरियों ने सवाल उठाए थे. इस मामले में उनका कहना था कि गे शादियों को आशीर्वाद देने से चर्च के सिद्धांतों और शिक्षा पर हमला होगा. बता दें कि रेमंड लियो बुरके, वाल्टर ब्रैंडमूलर, जुआन सैंडोवल इंगेज, जोसेफ जे किउन और रॉबर्ज सराब ने सवाल उठाये थे. इन सभी पादरियों ने कहा था कि आखिर पोप फ्रांसिस चाहते क्या हैं. आखिर वो क्यों समलैंगिक शादी करने वालों को आशीर्वाद देने की बात कह रहे हैं. बता दें कि 10 जुलाई को इस संबंध में इन लोगों ने एक पत्र लिखा था. पोप के जवाब से संतुष्ट नहीं होने के बाद इन्होंने फिर एक बाद 25 सितंबर को उनको पत्र लिखा.
उन्होंने 25 सितंबर को लिखे पत्र में यह भी कहा गया कि पादरी को इस मामले में अपना विवेक दिखाना चाहिए. इस बात को समझना चाहिए. बता दें कि हाल ही में पोप फ्रांसिस ने जो बयान दिया है. ये हाल ही में उनके एक दिए गए बयान का खंडन करता है. उन्होंने उस वक्त कहा था कि भगवान किसी तरह के पाप को आशीर्वाद नहीं दे सकते. रिपोर्ट के मुताबिक वेटिकन चर्च बहुत लंबे समय से पुरुष और महिला के बीच विवाह को ही मान्यता देता रहा है और समलैंगिक विवाह का विरोध करता रहा है.
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