नई दिल्ली: रूस का एक ऐसा शहर है, जिसे विश्व का सबसे उदास हिस्सा कहा जाता है. ये उदासी इतनी अधिक है कि साइबेरियाई बॉर्डर पर बसे इस शहर में रहने वालों की औसत उम्र करीब 10 साल कम हो जाती है. हिम्मत वाले लोग भी नॉरिल्स्क को दुनिया के सबसे डिप्रेसिंग शहर का दर्जा […]
नई दिल्ली: रूस का एक ऐसा शहर है, जिसे विश्व का सबसे उदास हिस्सा कहा जाता है. ये उदासी इतनी अधिक है कि साइबेरियाई बॉर्डर पर बसे इस शहर में रहने वालों की औसत उम्र करीब 10 साल कम हो जाती है. हिम्मत वाले लोग भी नॉरिल्स्क को दुनिया के सबसे डिप्रेसिंग शहर का दर्जा देते हैं।
साल 2016 में नॉरिल्स्क के डल्डिकेन नदी की कुछ डराने वाली तस्वीरें वायरल हो रही थी, जिसमें खून की तरह लाल पानी बह रहा था. लोगों का कहना था कि नदी का पानी पहले भी विचित्र था, लेकिन अचानक इसका रंग गहरा लाल हो गया. काफी जांच-पड़ताल करने के बाद रूसी अधिकारियों ने कहा कि शहर में धातुओं पर काम करने वाले बड़े कारखाने हैं. उन्हीं के किसी पाइप में लीकेज की वजह से नदी का पानी लाल हो गया है. रूसी अधिकारियों ने लोगों से कहा कि पानी को साफ करके इस्तेमाल करें।
शहर का समान्य तापमान -10 डिग्री होता है, जो ठंड की मौसम में -60 तक चला जाता है. यहां के लोग हर साल करीब 2 महीने दिन की रोशनी नहीं देख पाते है. ऐसे में अधिकतर लोग अपने घरों पर ही रहते हैं और इमरजेंसी पड़ने पर ही लोग घरों से बाहर निकलते है।
नॉरिल्स्क शहर को विश्व का सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता है. यहां तक कि खुद रूस इसे देश का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बताता है. इसकी वजह है कि तांबे, पलेडियम और निकल की खदानें. विश्वभर में निकल की सप्लाई का 5वां हिस्सा नॉरिल्स्क से आता है, जबकि आधे से अधिक पैलेडियम भी यहीं से मिलता है. इसलिए यहां भारी प्रदूषण हो रहा है. डेटा बताते हैं कि निकल प्लांट्स से हर साल दो मिलियन टन से अधिक जहरीली गैसें बाहर निकलती हैं, जिसमें कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसें हैं. रूस में रहने वाले लोगों की औसत आयु लगभग 69 साल है, वहीं नॉरिल्स्क में रहने वाले लोग ज्यादा से ज्यादा 59 सालों तक जीते हैं।
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