The Terminal : एयरपोर्ट पर 18 साल बिताने वाले मेहरान करीमी नासेरी का निधन, बन चुकी है फिल्म

नई दिल्ली : ईरान के निर्वासित मेहरान करीमी नासेरी का निधन हो गया है. दिल का दौरा पड़ने से उनकी जान चली गई. पेरिस के चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट पर उन्होंने आखिरी सांसें ली. बता दें कि मेहरान वही शख्स हैं जिनपर अमेरिकी फिल्ममेकर स्टीवन स्पीलबर्ग ने ‘द टर्मिनल’ नाम की फिल्म बना चुके हैं. […]

Advertisement
The Terminal : एयरपोर्ट पर 18 साल बिताने वाले मेहरान करीमी नासेरी का निधन, बन चुकी है फिल्म

Riya Kumari

  • November 13, 2022 12:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : ईरान के निर्वासित मेहरान करीमी नासेरी का निधन हो गया है. दिल का दौरा पड़ने से उनकी जान चली गई. पेरिस के चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट पर उन्होंने आखिरी सांसें ली. बता दें कि मेहरान वही शख्स हैं जिनपर अमेरिकी फिल्ममेकर स्टीवन स्पीलबर्ग ने ‘द टर्मिनल’ नाम की फिल्म बना चुके हैं. इस फिल्म कोई कई अवार्ड्स भी मिलें. मेहरान की बात करें तो वह ईरान से निर्वासित हुए थे और अगस्त 1988 से जुलाई 2006 तक पेरिस एयरपोर्ट पर ही रह रहे थे. इसी बीच जब साल 2004 में उनपर बनी फिल्म सामने आई तो उनके नाम की चर्चा तेज हो गई. रिपोर्ट की मानें तो मेहरान को एयरपोर्ट के टर्मिनल 2 एफ में दिल का दौरा पड़ा और यहीँ उनकी मौत हो गई.

स्टाफ भी देता था प्यार

जानकारी के अनुसार बीते 18 सालों से मेहरान करीमी नासेरी पेरिस के चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट पर रह रहे थे. कुछ समय पहले ही उन्होंने ये एयरपोर्ट छोड़ दिया था जिसके बाद कुछ दिनों पहले ही उन्होंने इस एयरपोर्ट का रुख किया था. यहां का स्टाफ उन्हें प्यार से सर अल्फ्रेड मेहरान कहकर बुलाता था. दरअसल साल 1988 में ब्रिटेन ने उन्हें शरणार्थी के रूप में राजनीतिक शरण देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद से वह एयरपोर्ट पर ही बस गए.

पहली बार निकले थे बाहर

मेहरान करीमी नासेरी की मां स्कॉटिश नागरिक थीं, लेकिन फिर भी ब्रिटेन ने उन्हें बतौर शरणार्थी जगह नहीं दी थी. इसके बाद मेहरान की नागरिकता को लेकर सवाल उठने लगाए थे. वैराइटी के मुताबिक, उन्होंने खुद को स्टेटलेस बता दिया था और एयरपोर्ट पर रहने का फैसला किया. वह अपना सामान हमेशा साथ रखते जहां पहली बार साल 2006 में अस्पताल में भर्ती होने के बाद उन्होंने एयरपोर्ट छोड़ा था.

फिल्म ने बनाए रिकॉर्ड

एयरपोर्ट पर उन्होंने अपन 18 साल बिताने के बाद पहली बार पढ़ने, डायरी लिखने और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया. उनपर हॉलीवुड डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग ने साल 2004 में फिल्म ‘द टर्मिनल’ बनाई थी. फिल्म में टॉम हैंक्स ने उनका किरदार निभाया था. फिल्म में टॉम पूर्वी यूरोपीय व्यक्ति बने थे जो संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश से वंचित होने के बाद न्यूयोर्क हवाई अड्डे पर रहने लगता है.

यह भी पढ़ें-

EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, 3 सवालों के जवाब पर अदालत ने दिया फैसला

EWS आरक्षण को हरी झंडी, सुप्रीम कोर्ट ने गरीब सवर्णों के हक में दिया फैसला

Advertisement