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व्हीलचेयर पर है इजराइल में तबाही मचाने वाला हमास का मास्‍टरमाइंड, नहीं हो सकता अपने पैरों पर खड़ा

नई दिल्ली: फिलिस्तीन के उग्रवादी संगठन हमास ने बीते शनिवार (7 अक्टूबर) को इजरायल पर हमला किया. इसके बाद से ही पूरे क्षेत्र में हिंसा भड़की हुई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस हिंसा में दोनों देशों की तरफ से मरने वालों की संख्या 1,600 से ज्‍यादा हो गई है. बता दें युद्ध की आधिकारिक […]

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व्हीलचेयर पर है इजराइल में तबाही मचाने वाला हमास का मास्‍टरमाइंड, नहीं हो सकता अपने पैरों पर खड़ा
  • October 11, 2023 2:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: फिलिस्तीन के उग्रवादी संगठन हमास ने बीते शनिवार (7 अक्टूबर) को इजरायल पर हमला किया. इसके बाद से ही पूरे क्षेत्र में हिंसा भड़की हुई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस हिंसा में दोनों देशों की तरफ से मरने वालों की संख्या 1,600 से ज्‍यादा हो गई है. बता दें युद्ध की आधिकारिक घोषणा होने के बाद से इजरायली सेना गाजा पट्टी पर कहर बन कर टूट पड़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक सेना ने अभी तक गाजा पट्टी में हमास के 426 ठिकानों को तबाह कर दिया है. ऐसे में ये जानना अहम हो जाता है कि इस हमले की साजिश आखिर किसने की. बता दें कि इस हमले का मास्टरमाइंड अपने पैरों पर नहीं खड़ा हो सकता है.

गाजा का इतिहास क्या है?

इजराइल में कत्लेआम मचाने की साजिश रचने वाले का नाम दीफ मोहम्मद है जो 2002 से हमास की सेना का मुखिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक मो. दीफ साल 1960 के दशक में गाजा पट्टी के खान यूनिस शरणार्थी शिविर में पैदा हुआ था. उस वक्त गाजा पर मिस्र का नियंत्रण हुआ करता था. बता दें कि 1948 से लेकर 1967 तक गाजा का क्षेत्र मिस्र के अधिकार में रहा. उसके बाद गाजा पर साल 1967 से 2005 तक इजरायल का नियंत्रण था. फिर साल 2005 से लेकर 2007 तक गाजा फिलिस्तीन के कब्‍जे में रहा है. लेकिन 2007 में फिलिस्तीनी प्राधिकरण का तख्तापलट कर हमास ने गाजा पर नियंत्रण हासिल कर लिया.

क्या है हमास में दीफ की भूमिका?

साल 1980 के दशक के में आतंकी संगठन हमास की स्थापना की गई थी. उस वक्त दीफ की उम्र महज 20 साल थी. उसने इजराइल के खिलाफ विद्रोह में 20 साल की उम्र में ही भाग लिया. बाद में इजराइल की सेना ने उसे जेल भेजा दिया और दीफ को आत्मघाती बम धमाके के लिये जिम्मेदार ठहराया. जिस हमले का आरोप लगा कर इसे जेल भेजा गया था. इसमें एक हमला साल 1996 में हुआ था. जिसमें 50 से अधिक इजराइली नागरिक मारे गए थे. बता दें ये बम धमाका ओस्लो शांति समझौते के जवाब में किया गया था.

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