नई दिल्ली, The Kashmir Files in New-zealand द कश्मीर फाइल्स को लेकर न्यूज़ीलैंड में विवाद जारी है. फिल्म पर अब देश के पूर्व डिप्टी पीएम का भी बयान सामने आ गया है. जहां उन्होंने फिल्म के समर्थन में सेंसर लगाने को आज़ादी पर हमला करार दिया है.
हिंदी सिनेमा की फिल्म न सिर्फ देश में बल्कि पूरे विश्व में चर्चा का विषय है. पिछले दिनों समूचे विश्व में फिल्म की स्क्रीन्स को बढ़ा दिया गया था. लेकिन अब भी न्यूज़ीलैंड में फिल्म के सेंसर को लेकर विवाद जारी है. इस बीच पूर्व उप प्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स फिल्म के समर्थन में उतरे हैं. उनका कहना है कि फिल्म को रिलीज़ न होने देना न्यूजीलैंड वासियों की आजादी पर हमले के समान है.
विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर ये दावा किया कि न्यूज़ीलैंड सेंसर बोर्ड पर उनकी फिल्म को बैन करने का दबाव बनाया गया था. इस आरोप को उन्होंने कुछ कुछ सांप्रदायिक समूहों’ पर डाला था. रिपोर्ट्स कहते हैं कि चीफ सेंसर द्वारा फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, बल्कि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की तरफ से चिंता जताए जाने के बाद फिल्म में वर्गीकरण पर समीक्षा की जा रही है. चीफ सेंसर डेविड शैंक्स के मुताबिक फिल्म के रिलीज़ होने के संबंध में कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग उनके पास आये थे जिन्होंने ये आशंका जताई थी कि फिल्म के रिलीज़ होने के बाद मुस्लिम समुदाय के लिए हीं भावना फ़ैल सकती है. इसके अलवाल न्यूज़ीलैंड में फिल्म की रिलीज़ से सम्बंधित पिटीशन भी शुरू हो चुकी है. जिसमें हिंसक चीज़ों के असल होने की बात कही गयी है.
अब फिल्म के समर्थन में खुद न्युज़ीलैंड के पूर्व डिप्टी पीएम ने एक फेसबुक पोस्ट के द्वारा अपने विचारों को साझा किया है, जहां उन्होंने लिखा इस फिल्म को सेंसर करना न्यूजीलैंड में 15 मार्च को हुए अत्याचारों की जानकारी या तस्वीरों को सेंसर करने और 9/11 को हुए हमले के सभी तस्वीरों को हटाने के बराबर ही होगा.’ साथ ही उन्होंने सेंसर की आज़ादी को लोगों की आज़ादी के समान ही बताया. उन्होंने कहा कि ये सेंसरशिप न सिर्फ न्यूज़ीलैंड बल्कि दुनिया भर के लोगों की आज़ादी पर प्रहार होगी.