भारत और चीन के बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। कैलाश-मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति बन गई है। हाल ही में बीजिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक में इस पवित्र तीर्थयात्रा समेत छह अहम मुद्दों पर सहमति बनी।
नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। कैलाश-मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति बन गई है। हाल ही में बीजिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक में इस पवित्र तीर्थयात्रा समेत छह अहम मुद्दों पर सहमति बनी। अब सवाल यह उठता है कि इस मिठास भरे चीन से भारत को सतर्क रहना चाहिए ?
1- चीन फिर से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग खोलने पर राजी हो गया है, क्या ये भारत की कूटनीतिक जीत है?
हां 90.00%
नहीं 10.00%
कह नहीं सकते 00.00%
2- NSA अजित डोभाल के चीन दौरे से 6 मुद्दों पर सहमति बनी है, क्या अब दोनों देशों के रिश्ते सुधरे हैं?
हां 68.00%
नहीं 30.00%
कह नहीं सकते 02.00%
3- क्या कूटनीतिक बैठकों के इतर भारत को अब भी चीन से सतर्क रहना चाहिए?
हां 95.00%
नहीं 04.00%
कह नहीं सकते 01.00%
4- एक तरफ दोस्ती और दूसरी तरफ भूटान की जमीन पर जबरन 22 गांव विकसित करना, चीन की इस कदम को आप कैसे देखते हैं
– विस्तारवादी सोच 12.00%
– धोखा देने की आदत 55.00%
– भारत को घेरने की प्लानिंग 27.00%
– कह नहीं सकते 06.00%
5- मोदी और ट्रंप की दोस्ती क्या जिनपिंग को बैकफुट पर लेकर आई है?
हां 71.00%
नहीं 21.00%
कह नहीं सकते 08.00%
कैलाश-मानसरोवर यात्रा हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के श्रद्धालुओं के लिए बेहद पवित्र मानी जाती है। भगवान शिव का निवास माना जाने वाला कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है। यह यात्रा न केवल धार्मिक है, बल्कि शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति की भी परीक्षा है।
कैलाश यात्रा पर जाने के लिए यात्री कई मार्गों में से चुन सकते हैं: नेपाल में काठमांडू, नेपाल में सिमिकोट और तिब्बत में ल्हासा। भारत की ओर से शिखर तक पहुंचने के लिए दो मार्ग हैं: एक मार्ग लिपुलेख दर्रे (उत्तराखंड) से होकर जाता है और दूसरा मार्ग नाथुला दर्रे (सिक्किम) से होकर जाता है।
बैठक के दौरान नाथुला सीमा व्यापार को फिर से सक्रिय करने और सीमा पार नदी सहयोग को मजबूत करने पर भी बातचीत हुई। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 2005 में बनी सहमति के आधार पर काम करने पर सहमति बनी। दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने का फैसला किया।
डोकलाम विवाद के बाद से दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण माहौल था। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछली बैठकों और अब एनएसए अजीत डोभाल की बीजिंग की हालिया यात्रा ने संबंधों में सुधार के संकेत दिए हैं। डोभाल और वांग यी ने सीमा पर बनी सहमति को प्रभावी ढंग से लागू करने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही सीमावर्ती इलाकों में शांति स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाने पर भी सहमति जताई है।
कज़ान में हुई बैठक के फैसलों के आधार पर भारत-चीन संबंधों में विश्वास बहाली पर जोर दिया गया। कूटनीतिक और सैन्य सहयोग पर भी सहमति बनी है। दोनों देशों ने सीमा प्रबंधन को लेकर कूटनीतिक और सैन्य सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इस बैठक में एक और बड़ा फैसला लिया गया है। अगले साल भारत में विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता होगी।
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