नई दिल्ली: भारत कनाडा के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. इस समय दोनों देशों के बीच राजनयिक स्थिति खराब दौर से गुजर रही है. भारत की तरफ से कनाडा पर आरोप लगाया गया है कि कनाडा खालिस्तानी आतंकियों को शरण दे रहा है. इस बात को छुपाने के लिए अब कनाडा भारत पर बेबुनियाद आरोप लगा रहा है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के एजेंटो के संलिप्त होने की संभावना जताई थी. जिसे भारत ने नकार दिया था. ऐसे में अब सवाल उठता है कि भारत और कनाडा के बीच राजनयिक और व्यापारिक संबंध टूटने से इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत और कनाडा के बीच शिक्षा, व्यापार, टूरिज्म और प्रवास का आदान-प्रदान होता है. साथ ही दोनों देशों के बीचन्यूक्लियर सहयोग, विज्ञान, दोहरे टैक्स, एग्रीकल्चर, प्रौद्योगिकी, एनर्जी, और शिक्षा को लेकर कुछ द्विपक्षीय करार और समझौते भी हैं. बता दें कि कनाडा में रहकर भारत के कई छात्र पढ़ाई करते हैं. एक रूपर्ट के मुताबिक के साल 2022 तक भारत के 13 लाख से अधिक से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे थे. जिसमें से अब सिर्फ 2 लाख के आसा-पास छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा.
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 से 23 के बीच भारत और कनाडा के बीच विपक्षीय व्यापार 8161 मिलियन डॉलर था. जिसमें से 70 अरब डॉलर कनाडा का भारत में निवेश है. वहीं कनाडा का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भारत है. जबकि भारत के लिहाज से देखें तो भारत का 35 वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश कनाडा है. बता दें कि कनाडा और भारत के बीच पिछले 10 साल से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत रुकी हुई है.
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