हीरा उगलने वाला देश आज भुखमरी से परेशान है, अंतरराष्ट्रीय व्यापारी क्यों उठा रहे फायदा

नई दिल्ली: दुनिया में हीरा उत्पादन में आठवें नंबर पर अफ्रीका देश है। आबादी 1 करोड़ से भी कम है, फिर भी वहां के लोग भूख से जूझ रहे हैं। वे तस्करी का शिकार हो रहे हैं। उन्हें बुनियादी इलाज भी नहीं मिल रहा है। युवा नौकरी के लिए तरस रहे हैं। यह स्थिति पश्चिमी अफ्रीका के देश सिएरा लियोन की है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया को हीरा देने वाला यह देश अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश की ऐसी हालत होने के कई कारण हैं।

इन सभी कारणों में सबसे अहम है यहां की सरकार। आरोप है कि सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। सरकार के पास कोई ऐसी योजना नहीं है जिससे विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सके। आइए आज समझते हैं कि हीरा उत्पादन करने वाले देश की हालत ऐसी कैसे हो गई और यहां इतने हीरे क्यों हैं?

धरती हिरा उगलती है

धरती में हीरे छिपे होने की बात 1930 के दशक में तब पता चली जब अंग्रेज यहां आकर रहने लगे। 1935 में यहां खनन शुरू हुआ और धीरे-धीरे यहां के हीरों ने दुनिया में अपनी जगह बना ली। यहां के हीरे उच्च गुणवत्ता वाले हैं और बाजार में इनकी कीमत भी अधिक है। शुरुआती शोध में पता चला है कि यहां की धरती में हीरे का भंडार है।

 

दक्षिणी अफ्रीका के देशों में हीरे का खनन ज्यादातर बड़े पैमाने पर मशीनों की मदद से कंपनियों द्वारा किया जाता है, लेकिन सिएरा लियोन में हीरे आमतौर पर नदी तल की सतह के करीब बिखरे हुए पाए जाते हैं। जिन्हें फावड़े और छलनी से खोजा जा सकता है। इस जगह की इसी खूबी ने प्रवासी श्रमिकों के लिए आकर्षण पैदा किया है, जिनमें से अधिकांश युवा, अशिक्षित, बेरोजगार पुरुष हैं जो अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

 

विश्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि हीरा खनन क्षेत्र सिएरा लियोन के 300,000 से 400,000 लोगों को आजीविका प्रदान करता है। फिर भी यहां की स्थिति में सुधार क्यों नहीं हो रहा हैं। आम तौर पर, श्रमिकों के गिरोह छोटे-छोटे क्षेत्रों में एक साथ काम करते हैं। बजरी खोदते हैं, उसे ढोते और धोते हैं। लोगों का एक अलग समूह खनन करने वालों को भोजन और उपकरण प्रदान करता है, लेकिन हीरे नहीं मिलने पर उन्हें भुगतान नहीं किया जाता है। नतीजतन, यहाँ कर्ज हावी है। विदेशी व्यापारियों का वर्चस्व उन्हें आगे बढ़ने नहीं देता।

युद्ध की तबाही, इबोला संकट से पैदा हुई अराजकता, भ्रष्टाचार और राजस्व कुप्रबंधन देश को गरीबी की ओर ले जाने के प्रमुख कारण हैं। यहां मजदूर गरीबी से जूझते हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यापारी सीधे तौर पर इसका भरपूर फायदा उठाते हैं।

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