नई दिल्ली: तुर्की के राष्ट्रपति, रेसेप तैयप एर्दोगन, सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे को लेकर खुश हैं। उनका मानना है कि विद्रोहियों की नई सरकार कुर्द लड़ाकों को खदेड़ देगी, जिससे वे तुर्की के लिए खतरा नहीं बनेंगे। यह स्थिति कुछ वैसी ही है, जैसे 2021 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोचा था। अगस्त 2021 में, इमरान खान का यह मानना था कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद, अफगानिस्तान में बनने वाली नई सरकार तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे समूहों को अफगानिस्तान से कार्य करने का मौका नहीं देगी। लेकिन हुआ इसका ठीक उलटा और अब पाकिस्तान TTP के हमलों से जूझ रहा है।
एर्दोगन के शासन में तुर्की ने सीरिया में बशर अल-असद की सरकार को सत्ता से हटाने के लिए विद्रोहियों का समर्थन किया। तुर्की द्वारा दिए गए समर्थन और बदलते भू-राजनीतिक हालात के कारण, असद सरकार का पतन महज 13 दिनों के भीतर हो गया। बशर अल-असद को सीरिया छोड़कर रूस भागना पड़ा और विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क समेत पूरे देश पर कब्जा कर लिया। इस सफलता से एर्दोगन इतने खुश हुए कि उन्होंने विद्रोहियों की अंतरिम सरकार के गठन के कुछ दिनों बाद ही अपने विदेश मंत्री को सीरिया भेज दिया।
तुर्की के विदेश मंत्री, हकन फिदान, ने हाल ही में दमिश्क में सीरिया के विद्रोही नेता अहमद अल-शरा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि सीरिया के भविष्य में कुर्द आतंकवादियों के लिए कोई जगह नहीं है। तुर्की YPG (जो कि कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी, PKK का एक हिस्सा मानी जाती है) को आतंकवादी संगठन मानता है, क्योंकि यह संगठन 40 वर्षों से तुर्की सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। तुर्की के लिए, YPG का अस्तित्व एक बड़ा खतरा है और तुर्की ने YPG को भंग करने की मांग की है। YPG को तुर्की, अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
YPG और तुर्की समर्थित विद्रोही बल एक-दूसरे के दुश्मन हैं और दोनों पक्ष लगातार संघर्ष कर रहे हैं। YPG, सीरिया के पूर्वोत्तर हिस्से में सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) का नेतृत्व करता है, जिसे अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। सीरियाई विद्रोही नेता अहमद अल-शरा ने कई बार यह बयान दिया है कि वे युद्ध नहीं चाहते और उनका नेतृत्व सभी पक्षों को एक साथ लाने की कोशिश करेगा। इस बीच, अमेरिका ने भी सीरियाई विद्रोहियों से सीधी बातचीत शुरू कर दी है.
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