नई दिल्ली : अंग्रेजों ने भारत में करीब 200 सालों तक क्रूर शासन किया था। भारत एक समृद्ध देश था जिसका खजाना हमेशा भरा रहता था। मुसीबत के समय भारत के राजा और नवाब दूसरे देशों की मदद करते थे.ब्रिटिश हुकूमत ने इस ‘सोने की चिड़िया’ के पंख ऐसे काटे कि वह उड़ने लायक ही नहीं रही। आंकड़े बताते हैं कि अंग्रेजों ने 1765 से 1938 तक भारत से करीब 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति लूटी अंग्रेजों ने 1757 से 1947 के बीच भारत से करीब 80 हजार ट्रिलियन रुपए लूटे थे।
इतिहासकार उत्सा पटनायक के अनुसार, अंग्रेजों ने 1765 से 1938 के बीच भारत से करीब 45 ट्रिलियन डॉलर की लूट की थी। यह रकम आज के समय में ब्रिटेन की सालाना जीडीपी से करीब 15 गुना ज्यादा है। ब्रिटेन में लोग मानते हैं कि भारत के उपनिवेशीकरण से ब्रिटेन को कोई खास आर्थिक लाभ नहीं मिला, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। ब्रिटिश सरकार ने इस ‘सोने की चिड़िया’ के पंख ऐसे काटे कि वह उड़ ही न सके। इस दौरान अंग्रेजों ने भारत से करीब 45 ट्रिलियन डॉलर की दौलत लूटी।
आपको बता दें कि अंग्रेजों ने 1757 से 1947 तक यानी 190 साल तक भारत पर राज किया। प्लासी की लड़ाई में जीत के बाद अंग्रेजों ने भारत में अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। इसके बाद 1858 में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया।
15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली और ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया। इस शासन को उपनिवेशवाद के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजों ने भारत पर आर्थिक शोषण, राजनीतिक उत्पीड़न और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद चलाया। हालाँकि उन्होंने भारत में कई नए उद्योग भी स्थापित किए और अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मदद की, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि अंग्रेजों ने भारत के संसाधनों और धन को लूटा।
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