मंदिर को तोड़ा जा रहा था, अब मुसलमान ने बरसाया प्यार, क्या होने वाला है बड़ा कांड!

नई दिल्ली: कोई तीन-चार महीने पहले की बात है, जब शेख हसीना का तख्तापलट हुआ तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों की बाढ़ आ गई। उनके घर जला दिये गये। मन्दिर तोड़े गये। यहां तक ​​कि मूर्तियां भी लूट ली गईं. लेकिन जब सभी हिंदू एक साथ सड़कों पर आ गए तो वहां मौजूद पार्टियों […]

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मंदिर को तोड़ा जा रहा था, अब मुसलमान ने बरसाया प्यार, क्या होने वाला है बड़ा कांड!

Zohaib Naseem

  • October 10, 2024 9:44 am Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: कोई तीन-चार महीने पहले की बात है, जब शेख हसीना का तख्तापलट हुआ तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों की बाढ़ आ गई। उनके घर जला दिये गये। मन्दिर तोड़े गये। यहां तक ​​कि मूर्तियां भी लूट ली गईं. लेकिन जब सभी हिंदू एक साथ सड़कों पर आ गए तो वहां मौजूद पार्टियों के होश उड़ गए. कट्टरपंथियों को खुली छूट देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी अब हिंदू प्रेम की भाषा बोलने लगी है.

 

वादा करते हैं

 

खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, अगर हमारी पार्टी सत्ता में लौटती है तो हम हिंदुओं के खिलाफ हुए सभी अत्याचारों की जांच करेंगे। कार्रवाई कर न्याय दिलाएंगे। इसके लिए जो भी करना होगा हम करेंगे. ढाकेश्वरी मंदिर में पूजा के बाद फखरुल ने हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. बोले, आपके जो भी मुद्दे हैं, सब हमारी सूची में हैं। हम इन पर काम करने का वादा करते हैं। बीएनपी नेता ने परोक्ष रूप से शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का जिक्र करते हुए कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक विशेष राजनीतिक दल के लोग आप पर अत्याचार में शामिल रहे हैं. जबकि वो लोग आपके सबसे बड़े रक्षक होने का दावा करते हैं.

 

संपत्ति लूट ली

 

अवामी लीग पर निशाना साधते हुए फखरुल ने कहा, उन्हीं लोगों ने जमीनों पर कब्जा किया और आपकी संपत्ति लूट ली. भविष्य में हमारी सरकार बनी तो हम ऐसे हर मामले की निष्पक्ष जांच कराएंगे। इससे पहले बांग्लादेश पूजा परिषद के महासचिव संतोष शर्मा ने उन्हें समुदाय की समस्याओं के बारे में बताया. बताया कि अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह का अन्याय हो रहा है. वहीं इस पर फखरुल ने कहा, मैं यह नहीं कहूंगा कि कुछ नहीं हुआ. हालांकि जो भी घटनाएँ घटीं वे साम्प्रदायिक नहीं, बल्कि राजनीतिक घटनाएँ थीं।

 

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