नई दिल्ली: बांग्लादेश कुछ महीनों से सुर्खियों में हैं, क्योंकि वहां हुआ ही कुछ ऐसा है. जी हां… बांग्लादेश में हम देख सकते है कि वहां हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती ही जा रही है. इसी बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने एक चौंका देने वाला बयान दिया है, जिसने […]
नई दिल्ली: बांग्लादेश कुछ महीनों से सुर्खियों में हैं, क्योंकि वहां हुआ ही कुछ ऐसा है. जी हां… बांग्लादेश में हम देख सकते है कि वहां हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती ही जा रही है. इसी बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने एक चौंका देने वाला बयान दिया है, जिसने बांग्लादेश के वर्तमान सिस्टम के कैरेक्टर का खुलासा कर दिया है. यानी की एक तरह से रक्षाबंधन के त्योहार पर मो. यूनुस ने रोहिंग्या मुसलमानों को रक्षा सूत्र दे दिया है.
बता दें कि मोहम्मद यूनुस ने अपने पहले पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा कि हमारी सरकार बांग्लादेश में रह रहे लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को मदद जारी रखेगी. हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद चाहिए ताकि रोहिंग्या मुसलमानों के लिए जो मदद की जा रही है, वो जारी रहे और वो सही सलामत अपने देश म्यान्मार लोट जाए.
साल 2015 में म्यांमार के अंदर सांप्रदायिक हिंसा तेज बढ़ गई थी. जिस वजह से तकरीबन लाखों रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार चल गए थे. जिनमें से सात लाख बांग्लादेश थे. इनमें से ज्यादातर कॉक्स बाजार इलाके में बने रिफ्यूजी कैंप्स में ही रहते थे. बांग्लादेश के साथ ही साथ भारत और इंडोनेशिया में भी अवैध तरीके से रोहिंग्या मुसलमान पहुंचे हैं.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले का सिलसिला लगातार जारी है. नोआखली जिले में रात के अंधेरे में एक हिंदू श्मशान पर हमला किया गया और उसे नुकसान भी पहुंचाया गया. श्मशान के नजदीक बने एक मंदिर को भी तोड़ दिया गया. इतना ही नहीं, आरोपियों ने स्वप्न ठाकुर नाम के एक बांग्लादेशी हिंदू के परिवार पर हमला किया. परिवार ने अपनी जान किसी तरह बचा तो ली, लेकिन गौशाला से उन्मादी भीड़ ने 60 से ज्यादा जानवरों को चुरा लिया.
आपको एक और बात जानकर हैरानी होगी कि हिंदुओं की आबादी बांग्लादेश में ही सिर्फ कम नहीं है, बल्कि भारत में भी हिंदू घटती चली जा रही है. तीन महीने पहले ही पीएम मोदी की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल ने एक रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में साफ जाहिर हुआ था कि साल 1950 से लेकर साल 2015 के बीच देश में हिंदू आबादी में 7.8 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिला है. जबकि दूसरी तरफ मुस्लिम आबादी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है.
बता दें कि साल 1950 में भारत में हिंदू की आबादी कुल आबादी के 84.68 था. वहीं साल 2015 आते-आते कुल आबादी के 78 प्रतिशत ही रह गए. जबकि, उस समय मुस्लिम की आबादी 9.84 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 14.09 प्रतिशत तक पहुंच गई. इसी डेमोग्राफिक चेंज को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय का एक बयान सामने आया है. कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है अगर भारत में हो रहे डेमोग्राफिक चेंज को रोका नहीं जाता है, तो तीस साल के अंदर देश में हमें गृहयुद्ध देखने को मिल सकता है.