नई दिल्ली : अफगानिस्तान में एक बार फिर महिलाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. तालिबानी सरकार द्वारा पहले ही स्कूली शिक्षा और निजी सेक्टरों में नौकरी को लेकर फरमान जारी कर दिए हैं अब मीडिया सेक्टर में कार्यरत महिलाओं पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. दरअसल तालिबान ने मीडिया को दो टूक होकर कहा […]
नई दिल्ली : अफगानिस्तान में एक बार फिर महिलाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. तालिबानी सरकार द्वारा पहले ही स्कूली शिक्षा और निजी सेक्टरों में नौकरी को लेकर फरमान जारी कर दिए हैं अब मीडिया सेक्टर में कार्यरत महिलाओं पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. दरअसल तालिबान ने मीडिया को दो टूक होकर कहा है कि अब अफगानिस्तानी मीडिया में न तो कोई महिला एंकरिंग करेगी और ना ही किसी पुरुष के साथ शो होस्ट करेगी. इतना ही नहीं नए फरमान में कहा गया है कि कोई महिला शो पर मेहमान बनकर भी नहीं आएगी.
जारी फरमान में तालिबानी सरकार ने कहा है कि मीडिया में अब महिलाओं के लिए कोई कॉल इन शो नहीं होंगे। इसके अलावा उनको पुरुषों के साथ साझा ऑफिस नहीं मिलेगा ना ही किसी पुरुषों के साथ वे होस्टिंग कर पाएंगी. किसी लाइव रेडियो प्रोग्राम में भी महिलाओं को नहीं आने दिया जाएगा.दरअसल तालिबान के कुछ अधिकारी शुक्रवार को कंधार गए थे, वहीं पर उन्होंने मीडिया से इस नए फरमान के बारे में बात की.
बता दें, इस समय पूरी दुनिया अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को घेरे हुए है. मालूम हो जी 7 देशों के विदेश मंत्री भी ज़ोर दे चुके हैं तालिबान को अपनी महिला विरोधी नीतियों को बदलना पड़ेगा. जहां पूरी दुनिया की ओर से तालिबान अपनी महिला विरोधी सोच की वजह से आलोचना का सामना कर रहा है. हाल ही में तालिबान ने यूनिवर्सिटी में महिलाओं की पढ़ाई पर रोक लगाई थी. इसके अलावा अफगानिस्तान में अब महिलाओं के पार्क में जाने पर भी प्रतिबंध है.
इस इस्लामिक देशों के संगठन ओर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने हाल ही में तालिबानी सरकार के इस फरमान को लेकर अपना बयान जारी किया है. इस बयान के अनुसार संगठन ने कहा है कि तालिबान के इस कदम से अफगान महिलाओं के मौलिक अधिकारों को एक और गंभीर झटका लगा है.ओआईसी के महासचिव हिसेन ताहा कहते हैं कि ‘तालिबान का यह कानून प्रत्यक्ष रूप से अफगान महिलाओं के अधिकारों को अधिक प्रभावित करने की मंशा दिखाता है. उन्होंने आगे तालिबान प्रशासन से इस निर्णय पर फिर विचार करने के लिए भी कहा है. उनके अनुसार महिलाओं के सामाजिक समावेशन और अफगानिस्तान में जरूरी अंतरराष्ट्रीय मानवीय सुरक्षा तंत्र को जारी रखने के लिए तालिबान को इस कदम पर एक बार फिर विचार करना चाहिए.
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